Bismillah Khan Birth Anniversary: विश्वनाथ मंदिर में बजाते थे शहनाई, गरीबों में बांट देते थे कमाई… बिस्मिल्लाह खान के बारे में रोचक जानकारियां

Bismillah Khan Birth Anniversary: विश्वनाथ मंदिर में बजाते थे शहनाई, गरीबों में बांट देते थे कमाई... बिस्मिल्लाह खान के बारे में रोचक जानकारियां

Bismillah Khan Birth Anniversary: विश्वनाथ मंदिर में बजाते थे शहनाई, गरीबों में बांट देते थे कमाई… बिस्मिल्लाह खान के बारे में रोचक जानकारियां
Modified Date: March 21, 2023 / 12:23 pm IST
Published Date: March 21, 2023 12:23 pm IST

नई दिल्ली। Bismillah Khan Birth Anniversary : आज मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान की 107वीं जयंती मनाई जा रही है। आज भी जब जिक्र शहनाई का होता है तो दिल व दिमाग में सिर्फ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का ही चेहरा घूमता है। आज भी बिस्मिल्लाह खान हर किसी के दिन में बास्ते हैं। आज ही के दिन 21 मार्च को संगीत के इस विरले फनकार की जयंती मनाई जाती है। इस खास अवसर पर हम आपको बिस्मिल्लाह खान से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताएंगे।

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विश्वनाथ मंदिर में अधिकृत शहनाई वादक थे

बता दें सबके चहिते शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च, 1916 को बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव गांव के मुस्लिम परिवार में हुआ था। पिछली पांच पीढ़ियों से इनका परिवार शहनाई वादन का प्रतिपादक रहा। इसके साथ ही बता दें कि उनके पूर्वज बिहार के भोजपुर रजवाड़े में दरबारी संगीतकार थे और उनके पिता बिहार की डुमरांव रियासत के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में शहनाई बजाया करते थे। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की सबसे खास और सबको चौंका देने वाली बात ये है कि वे महज 6 साल के थे जब वे अपने पिता पैंगंबर ख़ां के साथ बनारस आ गए। बनारस में बिस्मिल्लाह खान को उनके चाचा अली बक्श ‘विलायती’ ने संगीत की शिक्षा दी। बता दें वे बनारस के पवित्र विश्वनाथ मंदिर में अधिकृत शहनाई वादक थे। बिस्मिल्लाह खान को आज भी हर कोई याद करता है।

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Bismillah Khan Birth Anniversary : शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान की खास बात ये है कि वे अपनी कमाई का गरीबों में दान कर दिया करते थे। उनके बारे में बताया जाता है कि शहनाई बजाने के बाद उन्हें जो भी राशि मिलती थी, वे उस राशि को गरीबों में दान कर देते थे या फिर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में लगा देते थे। वे हमेशा दूसरों के बारे में सोचते थे।

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खुद के बारे में सोचने के लिए उनके पास समय नहीं होता था। लोकप्रियता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने के बाद भी उनके अंदर जो सादगी थी, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। ऐसा माना जाता है कि जब बिस्मिल्लाह खां साहब के जन्म की खबर उनके दादा जी ने सुनी तो अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए ‘बिस्मिल्लाह’ कहा और तब से उनका नाम बिस्मिल्लाह पड़ गया। लेकिन आपको बता दें कि बिस्मिल्लाह खां के बचपन का नाम कमरूद्दीन खान था।

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