गुजरात चुनाव में भाजपा को कांग्रेस और आप से मिल सकती है कड़ी चुनौती: राजनीतिक विश्लेषक |

गुजरात चुनाव में भाजपा को कांग्रेस और आप से मिल सकती है कड़ी चुनौती: राजनीतिक विश्लेषक

गुजरात चुनाव में भाजपा को कांग्रेस और आप से मिल सकती है कड़ी चुनौती: राजनीतिक विश्लेषक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : June 29, 2022/4:44 pm IST

(पराग दवे)

अहमदाबाद, 29 जून (भाषा) गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 24 साल की सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लगातार सातवीं बार चुनाव जीतने के प्रयास में उसे विपक्षी दल कांग्रेस और प्रदेश की राजनीति में नवागंतुक आम आदमी पार्टी से कड़ी चुनौती मिल सकती है।

गुजरात में 2022 के अंत में चुनाव होने हैं और भाजपा ने सत्ता पर फिर से काबिज होने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

अगर वह इस चुनाव में विजय हासिल कर लेती है तो भाजपा वाम मोर्चा के कीर्तिमान की बराबरी कर लेगी जिसने पश्चिम बंगाल में लगातार सात बार चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में गठबंधन ने 1977 से 2011 तक बंगाल में सरकार चलाई थी। गुजरात में सत्ताधारी पार्टी ने 1995 से लगातार छह चुनाव में विजय प्राप्त की है और 2017 में उसे पहली बार, राज्य की कुल 182 सीटों में सौ से कम (99) सीटें मिली थीं।

सत्ता विरोधी लहर से लड़ने के लिए भाजपा ने कई परिवर्तन किये हैं जिसमें मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को बदलना, पाटीदार समुदाय से बातचीत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे शामिल हैं। मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य गुजरात को जीतने से भाजपा को 2024 के आम चुनाव से पहले एक बढ़त मिल जाएगी।

सरदार पटेल शोध संस्थान के संस्थापक-निदेशक और राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई ने कहा, “ऐसा लगता है कि भाजपा गुजरात में हर हाल में आगामी चुनाव जीतना चाहती है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री (हाल में) यहां कई बार आ चुके हैं।”

उन्होंने कहा, “वे लोगों से खूब मुलाकात कर रहे हैं और जिस तरह से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी. आर. पाटिल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल प्रचार कर रहे हैं, उससे लगता है कि वे किसी भी हाल में गुजरात जीतना चाहते हैं।”

पिछले चुनाव से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि 2002 के बाद से हर चुनाव में भाजपा की सीटों में कमी आई है और पार्टी के जनाधार में भी कुछ कटौती हुई है। भाजपा ने 2002 में विधानसभा की 127 सीटें जीती थीं, इसके बाद पार्टी को 2007 में 117, 2012 में 116 और 2017 में 99 सीटें मिली थीं।

देसाई ने कहा, “2002 के बाद से हर चुनाव में भाजपा की सीटें कम हुई हैं। 2017 के चुनाव में उन्हें केवल 99 सीटें प्राप्त हुईं। इससे भाजपा के प्रति सत्ता विरोधी लहर तैयार होने का पता चलता है।” उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर ऐसे समूह हैं जो सी. आर. पाटिल की कार्यशैली को पसंद नहीं करते और अंदरूनी कलह से विपक्ष को फायदा हो सकता है।

लगभग दो दशक से भी ज्यादा समय से विपक्ष में रहने वाली कांग्रेस आज भी गुजरात में एक राजनीतिक ताकत है। देसाई ने कहा, “भाजपा कांग्रेस को हल्के में नहीं ले सकती क्योंकि वह के.एच.ए.एम. (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के जांचे परखे फार्मूले पर काम कर रही है। इन मतदाताओं को लुभाने के साथ ही पटेल समुदाय के वोट मिलने से भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।”

हाल में पंजाब के चुनाव जीतने वाली अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) की भी गुजरात चुनाव में भूमिका हो सकती है। देसाई ने कहा, “भाजपा को आम आदमी पार्टी की भी चिंता है। उन्हें डर है कि आप न केवल विपक्ष के वोट काटेगी बल्कि भाजपा के मतदाताओं को भी अपनी ओर खींच सकती है।”

उन्होंने कहा, “भाजपा के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में इतनी क्षमता और उनकी इतनी लोकप्रियता है कि वह पार्टी को राज्य में एक और विजय दिला सकें। वह उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं।”

भाषा

यश मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)