भाजपा के भ्रष्टाचार को छुपाने को बोम्मई ने गलत सूचना पेश की: सिद्धरमैया |

भाजपा के भ्रष्टाचार को छुपाने को बोम्मई ने गलत सूचना पेश की: सिद्धरमैया

भाजपा के भ्रष्टाचार को छुपाने को बोम्मई ने गलत सूचना पेश की: सिद्धरमैया

:   Modified Date:  February 24, 2023 / 09:36 PM IST, Published Date : February 24, 2023/9:36 pm IST

बेंगलुरु, 24 फरवरी (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर ‘अर्कावती लेआउट’ की अधिसूचना रद्द करने के संबंध में विधानसभा में गलत जानकारी देने के वास्ते न्यायमूर्ति एच एस केम्पन्ना आयोग की रिपोर्ट का उपयोग करने का आरोप लगाया।

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को ‘छिपाने’ के इरादे से काम कर रहे हैं।

वह बोम्मई द्वारा बृहस्पतिवार को विधानसभा में न्यायमूर्ति केम्पन्ना आयोग की रिपोर्ट के अंश पढ़ने के साथ ही राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर अर्कावती लेआउट भूमि की अधिसूचना रद्द करने का आरोप लगाये जाने पर प्रतिक्रिया जता रहे थे। अयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है।

सिद्धारमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब मैं विधानसभा में मौजूद नहीं था, तो बोम्मई चिल्लाये और यह धारणा बनाई कि 8,000 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला हुआ है। केम्पन्ना आयोग ने कहा है कि मैंने एक गुंटा भूमि की अधिसूचना रद्द नहीं की। बोम्मई सफेद झूठ बोल रहे हैं।’’ एक गुंटा 1,089 वर्ग फुट के बराबर होता है।

उन्होंने कहा कि ‘अर्कावती लेआउट’ का गठन 2003 में हुआ था और उनकी सरकार के सत्ता में आने से पहले 2,750 एकड़ भूमि को अधिसूचित किया गया था।

सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘बाद में, 1,919.13 एकड़ के लिए अंतिम अधिसूचना की गई थी। इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी और मामला उच्चतम न्यायालय में गया, जिसने कुछ मानक तय किए और कुछ जमीनों को हटाने के लिए टीमों का गठन किया गया, जब बी एस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे।’’

उन्होंने कहा कि इसके बाद फाइल जगदीश शेट्टार के पास गई, जो बाद में मुख्यमंत्री बने, लेकिन तब तक चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी थी, इसलिए इसे वापस भेज दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारी (कांग्रेस) सरकार आई, तो उच्च न्यायालय में एक याचिका थी जिसके कारण कुछ दबाव था।’’

सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘जैसा कि हमारे अधिकारियों ने कहा था कि सब कुछ उच्चतम न्यायालय के मापदंडों के अनुसार किया गया था। मैंने इसे मंजूरी दे दी। यह अधिसूचना रद्द करना नहीं, बल्कि पुन: संशोधित योजना थी।’’

सिद्धरमैया ने कहा कि इसके बाद उस समय विपक्ष के नेता रहे शेट्टार और अन्य ने आरोप लगाया कि एक घोटाला हुआ है तो उन्होंने जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन कर दिया।

भाषा अमित माधव

माधव

 

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