कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खेजुरी मेले में दो व्यक्तियों की मौत की सीआईडी जांच का आदेश दिया
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खेजुरी मेले में दो व्यक्तियों की मौत की सीआईडी जांच का आदेश दिया
कोलकाता, 26 अगस्त (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पूर्वी मेदिनीपुर जिले के खेजुरी में एक मेले में दो व्यक्तियों की मौत की जांच मंगलवार को राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी।
बारह जुलाई को मेला देखने गए दो व्यक्तियों की उन पर कथित तौर पर बिजली का खंभा गिरने से मौत हो गई। हालांकि, उनके परिवारों ने दावा किया है कि उनकी हत्या की गई थी। इनमें से एक व्यक्ति करीब 60 वर्ष का, जबकि दूसरा 23 वर्ष का था।
अदालत ने इससे पहले दोनों शवों का दोबारा पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया था।
मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का अनुरोध करते हुए, परिवारों ने कहा कि उन्हें स्थानीय पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है।
न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने सोमवार को दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपना एक ‘दिखावा’ होगा। उन्होंने कहा कि अदालत मुख्य रूप से चाहती है कि जांच हो। उन्होंने कहा था, ‘‘इस समय जांच सीबीआई को सौंपना एक दिखावा होगा।’’
मंगलवार को, अदालत ने सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) को निर्देश दिया कि वे डीआईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त करें, जो दोनों मामलों की जांच के लिए एजेंसी से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करेंगे।
न्यायमूर्ति घोष ने सीआईडी को एक महीने बाद, 25 सितंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जो सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई थी, सीआईडी के जांच अधिकारी को सौंप दी जाए।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति घोष ने कहा था कि इस मामले में सवाल पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की राय का है। उन्होंने कहा कि बिजली के झटके से होने वाली मौत और हमले से होने वाली मौत में अंतर होना चाहिए।
मृतकों के परिजन ने दावा किया कि मृतकों में से एक के शरीर पर चोट के निशान थे।
जांच सीबीआई को सौंपने की गुहार लगाते हुए परिवार ने कहा कि दोनों की मेले में हत्या की गई थी और बिजली का करंट लगने से उनकी मौत नहीं हुई, जैसा कि पुलिस ने दावा किया है।
राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने दावा किया कि जब किसी शव को मुर्दाघर में रखा जाता है, तो उस पर कुछ निशान आ जाते हैं, जो कभी-कभी शरीर पर चोटों का गलत आभास देते हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर दूसरी पोस्टमार्टम के लिए शवों को पूर्वी मेदिनीपुर जिले से राजकीय एसएसकेएम अस्पताल में ले जाने के दौरान शवों पर कुछ निशान या हड्डियों के टूटने के निशान हो सकते हैं।
भाषा
अमित दिलीप
दिलीप

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