वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को दी गई मान्यता को नजरअंदाज नहीं कर सकते : रमेश

वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को दी गई मान्यता को नजरअंदाज नहीं कर सकते : रमेश

वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को दी गई मान्यता को नजरअंदाज नहीं कर सकते : रमेश
Modified Date: June 29, 2025 / 06:14 pm IST
Published Date: June 29, 2025 6:14 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को छत्तीसगढ़ में एक कोयला खनन परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिये जाने को लेकर केंद्र की आलोचना की और कहा कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनों में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को दी गई मान्यता को नजरअंदाज नहीं जा सकता।

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि 15 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की दो सदस्यीय भोपाल पीठ ने 209 पन्नों का फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के गारे पाल्मा, सेक्टर-2 में कोयला खनन के लिए 11 जुलाई 2022 को दी गई पर्यावरण मंजूरी को रद्द कर दिया था।

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) रमेश ने कहा कि यह खुली खदान 14 गांवों में 6,300 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली है जिसमें से करीब आठ प्रतिशत हिस्सा समृद्ध वन क्षेत्र है।

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रमेश ने कहा, ‘‘फैसला विस्तृत था और निष्कर्ष यह था: पर्यावरण मंजूरी देने के लिए कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का अक्षरशः पालन नहीं किया गया।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसमें कहा गया है कि निर्धारित कानून के अनुसार सार्वजनिक सुनवाई की आवश्यकता पूरी नहीं की गई।

रमेश ने फैसले का हवाला देते हुए कहा,‘‘इस परियोजना के जनस्वास्थ्य, जलविज्ञान और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर समग्र प्रभाव का न तो समुचित मूल्यांकन किया गया और न ही उचित रूप से विचार किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन केवल कुछ महीनों के भीतर, इस परियोजना को फिर से पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी गई। अब इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई शुरू हो चुकी है। क्या हमें इस पर हैरानी और स्तब्ध होना चाहिए? शायद नहीं, क्योंकि इस खदान का संचालक और डेवलपर अदाणी समूह है।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सबसे अहम, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सामुदायिक वन अधिकारों की कोई भी प्रकिया को आसानी से नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।

रमेश ने एक खबर साझा की, जिसमें दावा किया गया था कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार तहसील के मुड़ागांव और सरायटोला गांवों में 26 और 27 जून को गारे पाल्मा सेक्टर-2 कोयला ब्लॉक में खनन के लिए कम से कम 5,000 पेड़ काटे गए थे।

भाषा राजकुमार धीरज

धीरज


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