Extramarital Affair: दूसरी महिला के साथ शादीशुदा मर्द के रहने पर दर्ज नहीं होगा मामला, जानें HC ने क्यों नहीं माना अपराध |Extramarital Affair

Extramarital Affair: दूसरी महिला के साथ शादीशुदा मर्द के रहने पर दर्ज नहीं होगा मामला, जानें HC ने क्यों नहीं माना अपराध

Extramarital Affair: दूसरी महिला के साथ शादीशुदा मर्द के रहने पर दर्ज नहीं होगा मामला, जानें HC ने क्यों नहीं माना अपराध

Edited By :   Modified Date:  May 21, 2024 / 07:37 PM IST, Published Date : May 21, 2024/7:37 pm IST

राजस्थान। राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले से लोगों को हैरान कर दिया है। HC ने कहा , कि द्विविवाह (दो शादी) का अपराध तब तक दर्ज नहीं हो सकता जब तक दूसरी महिला के साथ रह रहा शादीशुदा मर्द उससे दूसरी शादी ना कर ले। जस्टिस कुलदीप माथुर ने यह टिप्पणी उस केस का निपटारा करते हुए की, जिसमें एक शादीशुदा मर्द पर उसकी पत्नी ने द्विविवाह का आरोप लगाया था, क्योंकि वह दूसरी महिला के साथ रह रहा था।

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द्विविवाह अपराध नहीं

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, जज ने कहा कि IPC की धारा 494 के तहत सजा योग्य अपराध तब तक नहीं होता जब तक पहली शादी के कायम रहते हुए दूसरी शादी ना कर ली जाए। सिर्फ इसलिए कि एक शादीशुदा व्यक्ति किसी और के साथ रह रहा है, द्विविवाह का अपराध नहीं होगा, जब तक वह दूसरी शादी ना रचा ले। कोर्ट ने कहा, कि ‘एक पुरुष और महिला पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं तो इसे IPC की धारा 494 के तहत सजा योग्य अपराध नहीं माना जाएगा यदि उन्होंने कानूनी रूप से विवाह ना कर लिया हो।’

पत्नी ने लगाए थे ये गंभीर आरोप

इस केस में याचिकाकर्ता पर उसकी पत्नी ने द्विविवाह, क्रूरता और अन्य आरोप लगाए थे। वहीं, ट्रायल कोर्ट के सामने लंबित आपराधिक मामले को चुनौती देते हुए पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह आरोप नहीं लगाया गया है कि याचिकाकर्ता ने दूसरी महिला के साथ जरूरी धार्मिक रीतियों के साथ विवाह कर लिया है। पत्नी ने भी कहा है कि उनका पति दूसरी महिला से विवाहित नहीं है। वकील ने यह भी दलील दी कि पत्नी ने कथित अपराध के 20 साल बाद शिकायत की है।

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इस वजह रद्द हुआ केस 

पत्नी के वकील ने पति के दावे को यह कहकर खारिज किया कि यदि यह मान भी लिया जाए कि उसका पति दूसरी महिला के साथ नाता प्रथा (जब एक महिला पुरुष बिना शादी पति-पत्नी की तरह संबंध में रहते हैं) में रह रहा था, वह द्विविवाह का दोषी है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो बताए कि याचिकाकर्ता ने दूसरी महिला के साथ विवाह किया। कोर्ट ने कहा कि द्विवाविह का अपराध साबित नहीं होता इसलिए ट्रायल कोर्ट में लंबित आपराधिक केस को रद्द किया जाता है।

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