नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार को जमानत दे दी, लेकिन साथ ही कहा कि अधीनस्थ अदालत द्वारा महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज किये जाने के बाद ही उन्हें रिहा किया जाएगा।
इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि चटर्जी ने लगभग तीन साल जेल में काटे हैं और उन्हें लगातार जेल में रखना ‘‘न्याय का उपहास’’ होगा।
शीर्ष अदालत ने लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चार सप्ताह के भीतर आरोप तय करने और दो महीने के भीतर बयान दर्ज करने का निर्देश दिया।
उसने मामले में सुबीरेस भट्टाचार्य और शांतिप्रसाद सिन्हा को भी जमानत दे दी।
चटर्जी 2001 से विधायक हैं और वह 2011 से 2022 तक पश्चिम बंगाल में मंत्री रहे हैं। उन्होंने 2016 से राज्य में शिक्षा विभाग का कार्यभार संभाला। उन पर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों, सहायक शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अन्य पदों पर अयोग्य उम्मीदवारों की अवैध नियुक्तियां करने वाले एक गिरोह में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
अधीनस्थ अदालत ने तीन अगस्त, 2023 को चटर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल को उनकी याचिका ठुकरा दी थी।
भाषा
सिम्मी दिलीप
दिलीप