सेंसरशिप अस्वीकार्य, सांस्कृतिक उत्सव में नहीं लूंगा हिस्सा : अशोक वाजपेयी |

सेंसरशिप अस्वीकार्य, सांस्कृतिक उत्सव में नहीं लूंगा हिस्सा : अशोक वाजपेयी

सेंसरशिप अस्वीकार्य, सांस्कृतिक उत्सव में नहीं लूंगा हिस्सा : अशोक वाजपेयी

:   Modified Date:  February 24, 2023 / 08:59 PM IST, Published Date : February 24, 2023/8:59 pm IST

नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) कवि अशोक वाजपेयी ने शुक्रवार को कहा कि वह उस सांस्कृतिक महोत्सव में हिस्सा नहीं लेंगे जिसमें पहले वह लेने वाले थे, क्योंकि आयोजकों ने उनसे सरकार की आलोचना वाली कविताएं नहीं पढ़ने को कहा है।

हालांकि, आयोजकों ने कहा कि ‘‘किसी ने भी उन्हें अपने विचारों को सीमित करने के लिए नहीं कहा है।’’

वाजपेयी शुक्रवार को सुंदर नर्सरी में ज़ी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘अर्थ कल्चर फेस्ट’ में अनामिका, बद्री नारायण, दिनेश कुशवाहा और मानव कौल सहित अन्य कवियों के साथ एक कविता सत्र में भाग लेने वाले थे। रेख़्ता फ़ाउंडेशन कविता सत्र में आयोजकों के साथ सहयोग कर रहा है।

वाजपेयी ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘मैं अर्थ और रेख़्ता द्वारा अयोजित ‘कल्चर फेस्ट’ में भाग नहीं ले रहा हूं क्योंकि मुझसे कहा गया कि मैं ऐसी ही कविताएं पढूं जिनमें राजनीति या सरकार की सीधी आलोचना न हो। इस तरह की रोक अस्वीकार्य है।’’

वाजपेयी ने बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने सात ‘कोरस’ पढ़ने की योजना बनाई थी। 82 वर्षीय कवि ने कहा, ‘‘रेख़्ता से एक व्यक्ति ने मुझसे संपर्क किया और पूछा कि क्या मैं राजनीतिक संकेतार्थ वाली कोई कविता पढ़ूंगा। मैंने उनसे कहा कि कविता गैर-राजनीतिक कैसे हो सकती है, इसलिए उन्होंने मुझे इससे दूर रहने के लिए कहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस तरह की ‘सेंसरशिप’ के पक्ष में नहीं हूं, इसलिए मैं इसमें शामिल नहीं हो रहा हूं।’’

इस बीच, अर्थ उत्सव के एक प्रवक्ता ने कहा कि वाजपेयी का अपने विचार साझा करने के लिए स्वागत है और यह कार्यक्रम उन वक्ताओं की मेजबानी कर रहा है, जो ‘‘सत्ता के खिलाफ सक्रिय रूप से बोलते रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘न तो महोत्सव के निदेशकों और न ही आयोजकों ने उन्हें किसी भी विचार को सीमित करने के लिए कहा है। हम विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों की सराहना करते हैं और समाज के सभी वर्गों के वक्ताओं का स्वागत करते हैं। इस साल के संस्करण में कुछ बेहतरीन वक्ताओं की मेजबानी कर रहे हैं, जिनमें वे भी शामिल हैं जो सत्ता के खिलाफ सक्रिय रूप से बोलते रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि महोत्सव ‘‘वक्ताओं के लिए एक तटस्थ मंच प्रदान करता है और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने में कोई भूमिका नहीं निभाता।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम उत्सव में श्री वाजपेयी जी की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं।’’

रेख़्ता फ़ाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने भी वाजपेयी के दावे का खंडन किया और कहा कि न तो रेख़्ता और न ही ज़ी के आयोजकों ने सत्र में किसी भी कवि से ऐसी मांग की है।

रेख़्ता फ़ाउंडेशन के संचार प्रमुख सतीश गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने सभी से पूछा कि वे सत्र में क्या सुनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वह सिर्फ इसलिए था ताकि हम इसे कार्यक्रम में उनके परिचय में जोड़ सकें। हमने या ज़ी ने उन्हें कभी यह नहीं कहा कि वे राजनीतिक कवितायें नहीं पढ़ सकते। अगर यह सच होता, तो हमने सबसे यही कहा होता।’’

गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि रेख्ता फाउंडेशन केवल कविता सत्र का आयोजन कर रहा है न कि पूरे सांस्कृतिक उत्सव का, जो शुक्रवार से शुरू हो रहा है।

2008-2011 तक ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहे वाजपेयी उन जानी मानी हस्तियों में शामिल रहे हैं जिन्होंने ‘‘जीवन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमले’’ के विरोध में 2015 में अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे।

भाषा अमित माधव

माधव

 

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