मोराटोरियम अवधि के लिए चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने पर केंद्र करे विचार : सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का किया गठन

मोराटोरियम अवधि के लिए चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने पर केंद्र करे विचार : सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का किया गठन

मोराटोरियम अवधि के लिए चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने पर केंद्र करे विचार : सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का किया गठन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 pm IST
Published Date: September 10, 2020 11:10 am IST

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से मोराटोरियम अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लेने पर विचार करने को कहा है। लोन मोराटोरियम की अवधि के ब्याज पर ब्याज को माफ किए जाने को लेकर दाखिल पिटीशन पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को यह निर्देश दिया। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और बैंकों को दो हफ्तों के भीतर सेक्टर के हिसाब से लोन रिस्ट्रक्चरिंग, ब्याज पर ब्याज जैसे अहम मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के बाद ठोस निर्णय लेने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि मोराटोरियम की अवधि बढ़ाए जाने, मोराटोरियम की अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज एवं अन्य संबंधित मुद्दों पर निर्णय करने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।

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इस मामले में केंद्र को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तारीख तय की है। उच्चतम न्यायालय ने इसके साथ ही कहा कि उसके द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश सुनवाई की अगली तारीख तक प्रभावी रहेंगे। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में कहा था कि जिन अकाउंट्स को 31 अगस्त तक एनपीए घोषित नहीं किया गया है, उन्हें मामले की सुनवाई पूरी होने तक एनपीए घोषित नहीं किया जाना चाहिए।

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सुनवाई के दौरान लेनदारों की वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा, ”लोन के मामलों में अब भी चक्रवृद्धि ब्याज लगाया जा रहा है। ऐसे में लोगों को राहत कहां मिल रही है? कर्जों का पुनर्गठ किया जा रहा है, जिसे पूर्व में किया जाना चाहिए था।” लाखों लोग अपनी बीमारियों के उपचार के लिए अस्पतालों में हैं, कई लोगों की आमदनी का जरिया खत्म हो गया है। केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए एवं मोराटोरियम और ब्याज पर ब्याज को माफ किए जाने को लेकर फैसला करना चाहिए।


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