छत्रसाल स्टेडियम मामला : उच्च न्यायालय ने गवाहों से साक्ष्य दर्ज कराने को सुनवाई अदालत का रुख करने को कहा |

छत्रसाल स्टेडियम मामला : उच्च न्यायालय ने गवाहों से साक्ष्य दर्ज कराने को सुनवाई अदालत का रुख करने को कहा

छत्रसाल स्टेडियम मामला : उच्च न्यायालय ने गवाहों से साक्ष्य दर्ज कराने को सुनवाई अदालत का रुख करने को कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : May 2, 2022/8:53 pm IST

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहलवान सुशील कुमार से जुड़े छत्रसाल स्टेडियम हत्याकांड में अभियोजन पक्ष के चार गवाहों से रोहिणी स्थित सुनवाई अदालत का रुख करने कहा है, ताकि वे वर्चुअल माध्यम से अपने साक्ष्य दर्ज करा सकें।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने उचित एवं निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामले को रोहिणी जिला अदालत से शहर की किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर गवाहों द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया।

उन्होंने अभियोजन पक्ष की इस दलील को रिकॉर्ड में लिया कि दिल्ली पुलिस अपने अधिकार क्षेत्र में पीड़ितों को चौबीसों घंटे सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाध्य है और हरियाणा पुलिस अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सहमत हो गई है।

न्यायाधीश ने कहा कि संबंधित सुनवाई अदालत साक्ष्य दर्ज कराने के लिए याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका पर जल्द से जल्द विचार करेगी और उचित फैसला लेगी।

25 अप्रैल को पारित आदेश में अदालत ने कहा, “उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए याचिका का निपटारा इस निर्देश के साथ किया जाता है कि याचिकाकर्ता एएसजे-04, रोहिणी कोर्ट, दिल्ली की अदालत में वर्चुअल माध्यम से अपने साक्ष्य की रिकॉर्डिंग की मांग करेंगे। यहां ऊपर बताए गए और नोट किए गए कारणों के आधार पर जब आवेदन दायर किया जाएगा तो एएसजे द्वारा उस पर जल्द से जल्द विचार कर निर्णय लिया जाएगा।”

ओलंपिक विजेता सुशील कुमार पर अन्य लोगों के साथ मिलकर कथित संपत्ति विवाद को लेकर मई 2021 में छत्रसाल स्टेडियम में एक पूर्व जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियन सागर धनखड़ व उसके दोस्तों के साथ कथित तौर पर मारपीट करने का आरोप है।

घटना में बुरी तरह से घायल धनखड़ ने बाद में दम तोड़ दिया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उसकी मौत किसी धारदार वस्तु से मस्तिष्क को पहुंची क्षति के कारण हुई थी।

हमले का शिकार होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि मामले में रोहिणी और आसपास के क्षेत्रों के गैंगस्टरों की संलिप्तता उन्हें ‘अधिक असुरक्षित’ महसूस कराती है और स्टेडियम के अधिकांश पहलवान या तो आरोपी सुशील कुमार से सहानुभूति रखते हैं या फिर उनके शिष्य, सहयोगी या अवैध समर्थक हैं।

अधिवक्ता अजय कुमार पिपनिया के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि मामले में सह-आरोपी ‘कुख्यात अपराधी’ हैं, जो रोहिणी जिला न्यायालय के आसपास के क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं और मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उनके लिए वहां आना व गवाही देना सुरक्षित नहीं होगा।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को यह भी बताया था कि गवाहों की सुरक्षा से संबंधित समिति की बैठक के अंशों के अनुसार, धमकी के विश्लेषण से जुड़ी रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि खतरे की धारणा वास्तविक थी। उन्होंने मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करने और अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दैनिक आधार पर रिकॉर्ड करने का निर्देश देने की भी मांग की थी।

याचिका के मुताबिक, “ये खूंखार गैंगस्टर पहले ही हद पार कर चुके हैं और याचिकाकर्ताओं के परिजनों को धमकी दे रहे हैं कि अगर याचिकाकर्ता सुशील कुमार के पक्ष में गवाही नहीं देंगे तो वे उनके परिवार को खत्म कर देंगे।”

इसमें कहा गया है, “यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि इन कुख्यात अपराधियों और गैंगस्टरों की रोहिणी स्थित अदालतों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों में मजबूत पकड़ है।”

याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि पिछले साल सितंबर में ‘दो हमलावरों द्वारा एक कुख्यात गैंगस्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिससे रोहिणी अदालत परिसर एक संवेदनशील अदालत परिसर बन गया था।’

भाषा पारुल उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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