कोलकाता, 18 अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को गोरखाओं से संबंधित मुद्दों को लेकर चर्चा के लिए वार्ताकार की नियुक्ति पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा और इस निर्णय को रद्द करने की मांग की।
बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, तराई और दुआर क्षेत्रों में गोरखाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह को वार्ताकार नियुक्त करने से पहले उनकी सरकार से परामर्श नहीं किया गया था।
उन्होंने इस कदम को ‘‘सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत’’ करार दिया।
बनर्जी ने दो पृष्ठों के पत्र में कहा, ‘‘यह नियुक्ति पश्चिम बंगाल सरकार से बिना किसी परामर्श के की गई है, जबकि विचाराधीन मुद्दे सीधे तौर पर गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के शासन, शांति और प्रशासनिक स्थिरता से संबंधित हैं, जो पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की एकतरफा कार्रवाई सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत है, जो हमारे संविधान के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है।’’
बनर्जी ने पत्र में कहा कि गोरखा समुदाय से संबंधित किसी भी पहल के मद्देनजर क्षेत्र में निरंतर शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह स्मरणीय है कि गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) का गठन 18 जुलाई, 2011 को दार्जिलिंग में भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बीच तत्कालीन माननीय केंद्रीय गृह मंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जीटीए का गठन पहाड़ी क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक, अवसंरचनात्मक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और भाषाई विकास को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। साथ ही इसका उद्देश्य गोरखाओं की जातीय पहचान की रक्षा और सभी समुदायों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना भी था, जो पहाड़ों की एकता एवं सद्भाव की एक पहचान है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पहाड़ी जिलों में शांति और सद्भाव कायम है, जो 2011 में सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार द्वारा किए गए ठोस और निरंतर प्रयासों से संभव हुआ है।
बनर्जी ने पत्र में कहा, ‘‘इस संवेदनशील मामले में कोई भी एकतरफा कार्रवाई क्षेत्र में शांति और सद्भाव के हित में नहीं होगी। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ पूर्व और उचित परामर्श के बिना जारी किए गए इस नियुक्ति आदेश पर पुनर्विचार करें और इसे रद्द करें।’’
भाषा शफीक पवनेश
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