China Digging at LAC: अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है चीन, अब इस जगह पर तैयार कर रहा बंकर, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है चीन, अब इस जगह पर तैयार कर रहा बंकर, China again dared to do something in Ladakh, digging near Pangong lake
China again dared to do something in Ladakh
नई दिल्लीः China again dared to do something in Ladakh चीन सीमा पर अपनी नापाक हरकतें करने से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ भारत के विदेश मंत्री के साथ चीनी विदेश मंत्री वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध का समाधान निकालने के लिए बैठक करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास फिर अपनी हरकतें बढ़ा दी हैं। चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास के क्षेत्र में लंबे समय से खुदाई कर रही है। इसी इलाके में चीन का एक मिलिट्री बेस भी है, जहां पर अंडरग्राउंड बंकर बनाए गए हैं, ताकि उनमें हथियार, ईंधन और बख्तरबंद वाहनों के लिए कठोर शेल्टर्स को स्टोर किया जा सके। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से इसका खुलासा हुआ है।
China again dared to do something in Ladakh पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर पहाड़ों के बीच बसा सिरजाप में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का बेस है। यह झील के आसपास तैनात चीनी सैनिकों का मुख्यालय है। इसे भारत द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में बनाया गया है। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 5 किमी दूर स्थित है। मई 2020 में एलएसी पर गतिरोध शुरू होने तक इस क्षेत्र में कोई नहीं रहता था। ब्लैकस्काई द्वारा प्रदान की गई तस्वीरों के अनुसार, 2021-22 के दौरान बनाए गए बेस में भूमिगत बंकर हैं। इनका उपयोग हथियार, ईंधन या अन्य आपूर्ति को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है। इसी साल 30 मई को ली गई एक तस्वीर में एक बड़े अंडरग्राउंड बंकर के आठ प्रवेश द्वार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। एक और छोटा बंकर है, जिसमें पांच प्रवेश द्वार हैं। दोनों आसपास ही स्थित है।
सड़कों और खाइयों के नेटवर्क से जोड़ा गया चीन का मिलिट्री बेस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक “मिलिट्री बेस बख्तरबंद वाहनों की स्टोरेज फैसिलिटी, टेस्ट रेंज, ईंधन और हथियार स्टोरेज बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा है।” उन्होंने बताया कि मिलिट्री बेस पर वर्तमान में तोपखाने और अन्य हथियार मौजूद हैं, जिन्हें सड़कों और खाइयों के एक बड़े नेटवर्क से जोड़ा गया है। जरूरत पड़ने पर इन हथियारों और तोपों को सीमा तक लाया जा सकता है। यहां हैरानी वाली बात ये है कि सैटेलाइट तस्वीरों में भी इन सड़कों को नहीं देखा जा सकता है।

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