चंडीगढ़, 17 अप्रैल (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को किसान संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने किसान नेताओं से फसलों की विविधता और जल संरक्षण के लिए धान की सीधी बुआई करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वैकल्पिक फसलों का लाभकारी मूल्य देने के मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएगी। मान ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्यों के साथ बैठक की, जिसने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था।
उन्होंने बैठक में मौजूद 23 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से कृषि क्षेत्र को अलग-अलग समय में बिजली आपूर्ति किये जाने के मुद्दे पर जानकारी मांगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित कटौती धान की बुआई के मौसम में चरम (पीक) लोड से बचने में मदद करेगी।
उन्होंने पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से क्षेत्रवार मांग के अनुसार राज्य को चार जोन में विभाजित करते हुए समान बिजली आपूर्ति का सुझाव दिया। मान ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गांवों का दौरा करके किसानों को पानी और बिजली बचाने के लिए धान की सीधी बुआई (डीएसआर) तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने इसके अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की और इस दौरान मुख्यमंत्री ने डीएसआर के प्रचार के लिए उनसे विचार मांगे।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किये गये अध्ययन के नतीजों पर चिंता जताते हुए मान ने कहा कि डीएसआर तकनीक से 15-20 फीसदी भूजल को बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से प्रति एकड़ 3000 रुपये लागत घट जायेगी।
डीएसआर तकनीक के तहत धान के बीज मशीन की मदद से खेत में गाड़ दिये जाते हैं। इस तकनीक में धान और खरपतवारनाशी का छिड़काव एक साथ होता है। पारंपरिक विधि के अनुसार किसान पहले धान को नर्सरी में उगाते हैं और फिर उन्हें उखाड़कर एक खेत में रोपते हैं।
मान ने किसानों को गन्ना, मक्का, दलहन और तिलहन जैसी वैकल्पिक फसलों की बुवाई करके कृषि के विविधीकरण का विकल्प चुनने के लिए भी प्रेरित किया। मान ने उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार जल्द ही केंद्र के साथ इन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का मुद्दा उठाएगी।
उन्होंने किसानों से कम समय में तैयार होने वाली धान की किस्मों (पीआर 126 और पीआर 121) की बुआई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पूसा-144 की खेती को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
मान ने किसान संघों से बासमती की बुआई को प्रोत्साहित करने के लिए कहा, क्योंकि यह कम पानी वाली फसल है और लाभकारी मूल्य प्रदान करती है।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने गेहूं की उपज में गिरावट के कारण किसानों के लिए बोनस का मुद्दा उठाया। दल्लेवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री से गेहूं पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग की गई।
दल्लेवाल ने दावा किया कि मान ने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रभावित गेहूं उत्पादकों को मुआवजा दिया जाएगा।
भाषा संतोष सुरेश
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