18 वर्ष में पूर्ण आजादी अनुचित, समाज के लिए ठीक नहीं : केरल स्वास्थ्य विज्ञान विवि

18 वर्ष में पूर्ण आजादी अनुचित, समाज के लिए ठीक नहीं : केरल स्वास्थ्य विज्ञान विवि

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  • Publish Date - December 20, 2022 / 07:13 PM IST,
    Updated On - December 20, 2022 / 07:13 PM IST

कोच्चि, 20 दिसंबर (भाषा) केरल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (केयूएचएस) ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी है कि 18 साल की उम्र में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करना ‘‘समाज के लिए उचित और ठीक नहीं हो सकता है’’।

केयूएचएस ने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की छात्राओं की उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह दलील दी, जिसमें छात्रावास में रहने वालों के लिए रात साढ़े नौ बजे के बाद लगाये गये प्रतिबंध को हटाने की मांग की गयी है।

विश्वविद्यालय ने यह भी दलील दी है कि रातों की नींद खराब करना विद्यार्थियों के लिए उचित नहीं है।

इसी बीच, वामपंथी सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि उसने छह दिसंबर को एक आदेश जारी किया है, जो छात्रावास के समय में काफी हद तक ढील देता है, इस पर न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने इसे ‘‘तत्काल लागू’’ करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘(नये) आदेश के अनुसार, भले ही लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए छात्रावासों के द्वार रात 9.30 बजे तक बंद कर दिये जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को छोड़कर अन्य विद्यार्थियों को कुछ शर्तों के साथ छात्रावास में प्रवेश की अनुमति दी जाती है।’’

अदालत ने कहा कि संबंधित सरकारी आदेश प्रथमदृष्टया ‘स्वागतयोग्य कदम’ है।

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, ‘‘इसलिए, मैं चिकित्सा महाविद्यालयों से संबंधित सभी प्रधानाचार्यों और अन्य अधिकारियों को पूर्वोक्त सरकारी आदेश के अनुसार तत्काल प्रभाव से कार्य करने का निर्देश देता हूं।’’

इस बीच विश्वविद्यालय ने दावा किया है, ‘‘वैज्ञानिक तथ्यों पर विचार करते हुए 18 वर्ष की उम्र हासिल करते ही पूर्ण आजादी मांगना उचित नहीं हो सकता। यह समाज के लिए भी ठीक नहीं।’’

विश्वविद्यालय ने अपने हलफनामे में कहा है, ‘‘बिना किसी कायदे-कानून के छात्रावासों के प्रवेश द्वार खोलना समाज के लिए बाधक होगा, यदि इसे बगैर किसी वैज्ञानिक अध्ययन के किया जाता है।’’

भाषा सुरेश माधव

माधव