लिव-इन में सहमति से संबंध बनाना रेप नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दी आरोपी को जमानत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा युवक पर लगाए गए रेप के आरोपों में एक अहम फैसला सुनाया है। महिला ने यह आरोप चार साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी है।

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  • Publish Date - July 19, 2022 / 08:10 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

Consensual relationship in live-in is not rape: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा युवक पर लगाए गए रेप के आरोपों में एक अहम फैसला सुनाया है। महिला ने यह आरोप चार साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी है।   >>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां Click करें*<< 〉

जानकारी के अनुसार, विक्रम नाथ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला चार साल से पुरुष के साथ रिलेशन में थी। जब रिश्ता शुरू हुआ तब वह 21 साल की और बालिग हो चुकी थी।  मामले में तथ्यों के मद्देनजर, शिकायतकर्ता स्वेच्छा से अपीलकर्ता के साथ रह रही है और उसके संबंध थे। ऐसे में अगर अब दोनो के बिच संबंध नहीं है, तो महिला युवक पर बलत्कार का आरोप नहीं लगा सकती। ऐसे मामलों में देश के उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी अहम मानी जा रही है।

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Consensual relationship in live-in is not rape: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब यदि संबंध नहीं चल रहा है तो ऐसे में धारा 376 (2) (N) IPC के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आधार नहीं हो सकता है। युवक पर बलात्कार के अलावा, अप्राकृतिक अपराध (धारा 377) और आपराधिक धमकी (धारा 506) करने का भी आरोप लगाया गया है।

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इस संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी युवक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद आरोपी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। फिर उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “वर्तमान आदेश में टिप्पणियां केवल पूर्व-गिरफ्तारी जमानत आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्यों के लिए हैं।

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