कोरोना मरीजों में फंगल इंफेक्शन का बढ़ रहा खतरा, सूरत में 8 लोगों की निकालनी पड़ी आंख

कोरोना मरीजों में फंगल इंफेक्शन का बढ़ रहा खतरा, सूरत में 8 लोगों की निकालनी पड़ी आंख

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  • Publish Date - May 7, 2021 / 08:20 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

सूरत, गुजरात। देश में एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण ने कोहराम मचा रखा है वहीं कोरोना से मरीजों के लिए एक और खतरा सामने खड़ा हो गया है। कोरोना का समय पर इलाज न मिलने के कारण कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है। कोरोना के बाद मरीजों में म्यूकोरमाइसिस, का खतरा इतना बढ़ गया है कि मरीजों की मौत तक हो जा रही है। सूरत में 15 दिनों के अंदर ऐसे 40 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनमें 8 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं।

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देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्‍या गुजरात में तेजी से बढ़ रही है। मरीजों को न तो बेड मिल रहा है न ही ऑक्‍सीन। स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं, जिसके चलते कोरोना मरीज अस्‍पताल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं। इसी बीच अब लोगों को एक नई बीमारी ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि समय पर इसका इलाज न होने पर मरीज की आंख निकालनी पड़ती है या फिर उसकी मौत हो जाती है। इस नई बीमारी का नाम मिकोर माइकोसिस बताया जा रहा है।

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डाक्टरों की मानें तो म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है। पिछले साल कोरोना के पहले फेज में इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में इस तरह के केस बढ़ते जा रहे हैं। पहले कोरोना मरीज आंख दर्द और सिर दर्द को हल्‍के में ले रहे थे लेकिन इस बार इसका असर काफी ज्‍यादा देखा जा रहा है।

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वैसे तो कोरोना के पहले फेज में इस बीमारी के बारे में बहुत जानकारी नहीं मिल पाई थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में इसके केस अधिक सामने आ रहे हैं। कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज आंख दर्द, सिर दर्द आदि को इग्नोर करता है। यह लापरवाही मरीज को भारी पड़ती है। शहर के किरण हॉस्पिटल में ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर संकेत शाह बताते हैं कि कोरोना ठीक होने के बाद यह फंगल इंफेक्शन पहले साइनस में होता है और 2 से 4 दिन में आंख तक पहुंच जाता है।

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इसके 24 घंटे के भीतर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है। इसलिए आंख निकलनी पड़ती है। साइनस और आंख के बीच हड्डी होती है, इसलिए आंख तक पहुंचने में दो से ज्यादा दिन लगते हैं। आंख से ब्रेन के बीच कोई हड्डी नहीं होने से यह सीधा ब्रेन में पहुंच जाता है और आंख निकालने में देरी होने पर मरीज की मौत हो जाती है।

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एक्सपर्ट्स की माने तो आमतौर पर कोरोना के बाद डायबिटीज वाले मरीजों में इस बीमारी के होने की संभावना सबसे अधिक होती है। कोरोना के ठीक होने के बाद 2 से 3 दिन के भीतर इसके लक्षण नजर आते हैं। सूरत के अस्पताल में भर्ती मरीज ज्यादातर सौराष्ट्र और राज्य के अलग अलग क्षेत्रों से आए हैं। डॉक्टर की मानें तो अबतक 40 से ज्यादा केस उनके पास आ चुके हैं और उसने से आठ लोगों की आंख निकालनी पड़ी है।

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फंगल इंफेक्शन सबसे पहले कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों पर अटैक करता है। इलाज के दौरान दी गई दवाई से भी बॉडी पर बुरा असर डालती हैं। ऐसे में अगर मरीज को डायबिटीज है तो उसे यह बीमारी होने के चांस सबसे अधिक होता है। सिर में असहनीय दर्द, आंख लाल होना, तेज दर्द होना और पानी गिरना, आंख का मूवमेंट नहीं होना जैसे लक्षण मिलें तो तुरंत इलाज लेने की जरूरत है।