न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को प्रदूषण पर लगाम लगाने वाले कदम जारी रखने का निर्देश |

न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को प्रदूषण पर लगाम लगाने वाले कदम जारी रखने का निर्देश

न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को प्रदूषण पर लगाम लगाने वाले कदम जारी रखने का निर्देश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : November 24, 2021/1:56 pm IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र तथा एनसीआर राज्यों से वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लागू किए उपायों को कुछ दिनों तक जारी रखने के निर्देश दिए और कहा कि पहले से स्थिति का अनुमान लगाकर प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एहतियातन कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। न्यायालय ने इस पर ताज्जुब जताया कि हम दुनिया को क्या संकेत भेज रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कहा, ‘‘जब मौसम खराब हो जाता है तब हम कदम उठाते हैं। ये कदम पूर्वानुमान के साथ उठाए जाने जाने चाहिए और यह पूर्वानुमान सांख्यिकीय प्रारूप और वैज्ञानिक अध्ययन तथा प्रवृत्ति पर आधारित होना चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय राजधानी है। देखिए हम दुनिया को क्या संकेत भेज रहे हैं। आप पहले से ही स्थिति को भांपते हुए इन गतिविधियों को बंद कर सकते हैं ताकि स्थिति गंभीर नहीं हो।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण, थर्मल संयंत्र, वाहनों के उत्सर्जन, धूल नियंत्रण, डीजल जेनरेटर से निपटने के लिए एनसीआर और उससे जुड़े इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा सुझाए कदमों के साथ ही घर से काम करना कुछ समय के लिए जारी रहे।

पीठ ने कहा, ‘‘अगले दो-तीन दिनों के लिए उपाय करें और हम अगले सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे। इस बीच अगर प्रदूषण 100 एक्यूआई पर पहुंचता है तो आप कुछ प्रतिबंध हटा सकते हैं।’’

वायु प्रदूषण की बिगड़ी स्थिति के मद्देनजर ऑटोमैटिक ग्रेडेड कार्य योजना पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का जिक्र करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ये तदर्थ तंत्र है और प्रदूषण पर आयोग को एक वैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा और स्थिति को भांपते हुए एहतियातन कार्रवाई करनी होगी।

पराली जलाने के मुद्दे पर पीठ ने हैरानी जतायी कि नौकरशाह क्या कर रहे हैं और उसने कहा कि मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों को किसानों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के पास जाकर उनसे मुलाकात करनी चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘जैसे कि एक सरकारी वकील और हम न्यायाधीश इस पर चर्चा कर रहे हैं। इतने वर्षों में नौकरशाही क्या कर रहा है? उन्हें गांवों में जाने दीजिए, वे खेतों में जा सकते हैं, किसानों से बात कर सकते हैं और फैसला ले सकते हैं। वे वैज्ञानिकों को शामिल कर सकते हैं और यह क्यों नहीं हो सकता।’’

निर्माण मजदूरों के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा कि राज्यों के पास रियल एस्टेट कंपनियों से लिए श्रम उपकर के तौर पर बड़ी निधि है और ये निधि उन मजदूरों को दी जा सकती है जो प्रतिबंध के कारण अपनी आजीविका से वंचित हैं।

सुनवाई की शुरुआत में सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उन कदमों का जिक्र किया जो बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू किए गए हैं और उन्होंने कहा कि स्थिति की कुछ दिनों में समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, सभी सरकारी और निजी शैक्षिक संस्थानों को पूरी तरह बंद करने और राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में छह थर्मल ऊर्जा संयंत्रों को बंद करने जैसे उपाय अब भी लागू हैं।

इससे पहले पीठ ने प्राधिकारियों को वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एक बैठक में लिए गए फैसलों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।

भाषा गोला अनूप

अनूप

 

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