अदालत ने इंडिगो के 900 करोड़ रुपये शुल्क की वापसी की याचिका पर सीमा शुल्क विभाग से जवाब मांगा

अदालत ने इंडिगो के 900 करोड़ रुपये शुल्क की वापसी की याचिका पर सीमा शुल्क विभाग से जवाब मांगा

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  • Publish Date - December 19, 2025 / 12:27 PM IST,
    Updated On - December 19, 2025 / 12:27 PM IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इंडिगो एयरलाइन का संचालन करने वाली ‘इंटरग्लोब एविएशन’ की याचिका पर सीमा शुल्क विभाग से जवाब मांगा।

याचिका में विदेशों में मरम्मत के बाद भारत में पुनः आयात किए गए विमान के इंजनों और पुर्जों पर सीमा शुल्क के रूप में भुगतान किए गए 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को वापस करने (रिफंड) का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति विनोद कुमार की पीठ ने उपायुक्त (रिफंड), प्रधान सीमा शुल्क आयुक्त कार्यालय, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स (आयात) को नोटिस जारी किया और अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल, 2026 को तय की है।

‘इंटरग्लोब’ ने अपनी याचिका में दलील दी है कि इस तरह के पुनर्आयात पर सीमा शुल्क लगाना असंवैधानिक है और यह एक ही लेनदेन पर दोहरा शुल्क लगाने के समान है।

सीमा शुल्क विभाग के वकील ने इस याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि यह समय से पहले दायर की गई है और जिस मुद्दे के आधार पर यह दावा दायर किया गया है वह उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कोई स्थगन आदेश पारित नहीं किया है और उन्होंने उच्च न्यायालय से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया।

‘इंटरग्लोब’ के वकील ने यह दलील दी कि मरम्मत के बाद विमान के इंजनों और पुर्जों के पुनः आयात के समय उसने बिना किसी विवाद के मूल सीमा शुल्क का भुगतान किया था।

इसके अलावा, मरम्मत सेवा के दायरे में आता है इसलिए इस पर ‘रिवर्स चार्ज’ के आधार पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान भी किया गया।

‘रिवर्स चार्ज’ एक ऐसा तंत्र है जिसमें प्राप्तकर्ता (खरीदार/सेवा का उपभोक्ता), आमतौर पर आपूर्तिकर्ता (विक्रेता) के बजाय सरकार को जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है, जबकि सामान्य जीएसटी प्रणाली में आपूर्तिकर्ता ग्राहक से कर एकत्र करता है और सरकार को जमा करता है।

हालांकि, वकील ने दावा किया कि सीमा शुल्क अधिकारियों ने उसी लेनदेन को माल के आयात के रूप में मानकर दोबारा शुल्क लगाने पर जोर दिया।

कंपनी ने दावा किया कि यह मुद्दा पहले ही सीमा शुल्क न्यायाधिकरण द्वारा सुलझा लिया गया था, जिसने यह फैसला सुनाया था कि मरम्मत के बाद पुनः आयात पर सीमा शुल्क दोबारा नहीं लगाया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है कि छूट की अधिसूचना में बाद में संशोधन किया गया था, लेकिन न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि यह संशोधन केवल भविष्य में लागू होगा।

कंपनी ने कहा कि उसने 4,000 से अधिक आयात प्रवेश बिल के लिए 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का शुल्क विरोध जताते हुए अदा किया है।

बाद में जब ‘इंटरग्लोब’ ने धन वापसी के दावे दायर किए तो सीमा शुल्क अधिकारियों ने इस आधार पर उन्हें अस्वीकार कर दिया कि एयरलाइन को पहले प्रत्येक प्रवेश बिल का पुनर्मूल्यांकन करवाना होगा।

भाषा सुरभि गोला

गोला