किसी मामले में प्रतिकूल टिप्पणी करते वक्त अदालतों को बेहद सतर्क रहना जरूरी : न्यायालय

किसी मामले में प्रतिकूल टिप्पणी करते वक्त अदालतों को बेहद सतर्क रहना जरूरी : न्यायालय

किसी मामले में प्रतिकूल टिप्पणी करते वक्त अदालतों को बेहद सतर्क रहना जरूरी : न्यायालय
Modified Date: March 21, 2023 / 10:48 pm IST
Published Date: March 21, 2023 10:48 pm IST

नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी मामले में शामिल पक्षकारों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करते समय अदालतों को ‘‘बेहद सतर्क’’ रहना जरूरी है और कार्यवाही के लाइव प्रसारण के कारण अदालतों में की गई टिप्पणियों के अब दूरगामी परिणाम होंगे और इससे समाज को भारी नुकसान हो सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य रूप से कानूनी प्रणाली और विशेष रूप से न्यायिक प्रणाली ने आभासी सुनवाई और खुली अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण को अपनाने के कारण पहुंच और पारदर्शिता के एक नये युग की शुरुआत की है।

इसने कहा कि न्यायिक प्रणाली में ‘पहले कभी नहीं देखी गयी इस तरह की पारदर्शिता’ बहुत लाभ देती है, लेकिन इस तरह की अदालती कार्यवाही का संचालन करते समय न्यायाधीशों पर एक जिम्मेदारी का अहसास भी होता है।

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न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल जुलाई में दिए गए एक आदेश को रद्द करते हुए अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं, जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कुछ प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं।

पीठ ने कहा, ‘अदालत की कार्यवाही के लाइव प्रसारण के कारण टिप्पणियों के अब दूरगामी प्रभाव होंगे और जैसा कि वर्तमान मामले में देखा जा सकता है, इसमें शामिल पक्षों की प्रतिष्ठा को बड़ी चोट लग सकती है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थिति में, अदालतों के लिए यह आवश्यक है कि वे मामले के पक्षकारों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करते समय बेहद सतर्क रहें, ऐसी कोई भी टिप्पणी केवल तभी करें जब यह न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक हो।’’

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश


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