अदालतों के स्थगन आदेशों से हम पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है: उच्चतम न्यायालय

अदालतों के स्थगन आदेशों से हम पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है: उच्चतम न्यायालय

अदालतों के स्थगन आदेशों से हम पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है: उच्चतम न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 pm IST
Published Date: September 19, 2021 9:04 pm IST

नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालतों द्वारा स्थगन आदेश देने से उस पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। शीर्ष न्यायालय ने एक व्यक्ति को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, जिसकी अग्रिम जमानत अर्जी पिछले सात महीने से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने व्यक्ति को राहत देते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने समक्ष लंबित अग्रिम जमानत अर्जी पर कोई फैसला नहीं लिया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इस तरह के स्थगन आदेशों से उचित स्तर पर निपटने के बजाय इनसे इस अदालत पर अनावश्यक बोझ ही बढ़ रहा है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘जांच के दौरान याचिकाकर्ता को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। हालांकि वह पूछताछ में शामिल हुए और सहयोग दिया। इस स्थिति में आरोपपत्र दाखिल किये जाने पर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने की और अदालत में पेश करने की कोई जरूरत नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने एक आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत मांग रहे आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

याचिकाकर्ता के खिलाफ विशेष सीबीआई अदालत गाजियाबाद द्वारा लिये गये संज्ञान के अनुरूप उनके खिलाफ समन आदेश जारी किया गया।

याचिकाकर्ता ने समन मिलने पर 16 जनवरी, 2021 पर अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था, जिसे 28 जनवरी को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने तब तीन फरवरी, 2021 को उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी।

भाषा

वैभव सुभाष

सुभाष


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