रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई: विशेषज्ञ समिति व्यापक वनरोपण कार्य की निगरानी करे-उच्चतम न्यायालय

रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई: विशेषज्ञ समिति व्यापक वनरोपण कार्य की निगरानी करे-उच्चतम न्यायालय

रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई: विशेषज्ञ समिति व्यापक वनरोपण कार्य की निगरानी करे-उच्चतम न्यायालय
Modified Date: May 28, 2025 / 10:16 pm IST
Published Date: May 28, 2025 10:16 pm IST

नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को निर्देश दिया कि वह शहर के रिज क्षेत्र में एक सड़क के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के मद्देनजर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 185 एकड़ में किए जा रहे व्यापक वनरोपण कार्य की निगरानी करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि व्यापक पारिस्थितिक क्षति के मद्देनजर डीडीए को दिल्ली सरकार के साथ समन्वय कर तत्काल और समयबद्ध उपाय करने चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘इन प्रयासों का मार्गदर्शन और देखरेख इस अदालत द्वारा गठित समिति द्वारा की जाएगी, जिसमें ईश्वर सिंह, सुनील लिमये और प्रदीप कृष्ण शामिल होंगे।

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पीठ ने उसके निर्देशों का तीन महीने के भीतर अनुपालन करने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने अर्धसैनिक बलों के लिए एक अस्पताल के लिए सड़क को चौड़ा करने के लिए रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के अदालती आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए डीडीए अधिकारियों को अवमानना ​​का दोषी ठहराया और दोषी अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

इसने हालांकि कहा कि उनके द्वारा किया गया दुस्साहस इस अदालत के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है, लेकिन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (सीएपीएफआईएमएस) के लिए व्यापक मार्ग बनाने का अंतर्निहित उद्देश्य दुर्भावना से प्रेरित नहीं प्रतीत होता है।

कई निर्देश जारी करते हुए पीठ ने डीडीए को निर्देश दिया कि वह समिति के दौरे की व्यवस्था करे ताकि पहचानी गई और प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयोग किए जाने के लिए प्रस्तावित 185 एकड़ भूमि की उपयुक्तता देखी जा सके।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि समिति एक योजना तैयार करके वनरोपण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि वृक्षारोपण इस तरह से किया जाए कि मानसून के मौसम का पारिस्थितिकी लाभ अधिकतम हो सके।

पीठ ने कहा कि वनीकरण कार्य का सख्त और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग समिति की देखरेख में काम करेगा, जिसका पूरा खर्च डीडीए द्वारा वहन किया जाएगा और वन विभाग को वितरित किया जाएगा।

पीठ ने कहा कि वन विभाग को समिति द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मार्गों के निर्माण से कुछ संपन्न आवासीय मालिकों को होने वाले संभावित अनुचित लाभ के बारे में उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर, दिल्ली सरकार को डीडीए के परामर्श से ऐसे लाभार्थियों की पहचान करने का निर्देश दिया जाता है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की पहचान होने पर, जीएनसीटीडी, डीडीए के साथ मिलकर, ऐसे संपन्न व्यक्तियों पर निर्माण की आनुपातिक लागत के अनुरूप एकमुश्त शुल्क लगाने के लिए स्वतंत्र होगी, जो नवनिर्मित सड़क के प्रत्यक्ष लाभार्थी हो सकते हैं। हालांकि, ऐसा शुल्क नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार लगाया जाएगा।’’

अदालत ने कहा कि डीडीए और वन विभाग इस अदालत के समक्ष संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित द्विवार्षिक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

न्यायालय ने निर्देश दिया कि डीडीए के दोषी अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्यवाही, यदि लंबित है, तो शीघ्रता से पूरी की जाए और किसी भी स्थिति में छह महीने से अधिक समय नहीं लिया जाए।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव


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