शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते: दिल्ली उच्च न्यायालय

शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते: दिल्ली उच्च न्यायालय

शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते: दिल्ली उच्च न्यायालय
Modified Date: July 30, 2025 / 09:20 pm IST
Published Date: July 30, 2025 9:20 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी पत्नी को प्रताड़ित करने और उसे खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया।

अदालत ने पीड़िता को दहेज के लिए कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के बारे में उसके माता-पिता की गवाही पर गौर करते हुए कहा कि शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा ने 25 जुलाई के अपने आदेश में माता-पिता की दलील पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी व्यक्ति अपनी पत्नी से मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग करता था और मांग पूरी न होने पर उससे झगड़ा करता था। बाद में तंग आकर पत्नी ने आत्महत्या कर ली।

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न्यायमूर्ति शर्मा ने शिकायत दर्ज कराने वाले मृतका के माता-पिता को ‘निजी गवाह’ बताने की आरोपी व्यक्ति की दलील को खारिज कर दिया और इसे ‘अजीब’ तथा ‘भारतीय समाज की वास्तविकता से कोसों दूर’ बताया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 18 वर्षीय मृतका उत्तर प्रदेश के हरदोई की रहने वाली थी और उसकी शादी 21 मई 2023 को दिल्ली में आरोपी व्यक्ति से हुई थी। उसने छह फरवरी 2024 को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उसे दहेज के लिए परेशान किया जा रहा था और मृत्यु के समय वह तीन महीने की गर्भवती थी।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘अपनी बेटी की शादी दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति से करने के बाद, वे अपनी बेटी के ‘निजी गवाह’ नहीं बन जाते-वे हमेशा के लिए उसके माता-पिता बने रहते हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी दूसरे शहर में कर दी, इसका मतलब यह नहीं कि वे अजनबी या निजी व्यक्ति हैं, जिन्हें उसकी मानसिक स्थिति या दैनिक वैवाहिक जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि भारत में माता-पिता का अपनी बेटियों के प्रति प्यार और स्नेह तब भी खत्म नहीं होता, जब बेटी का जीवन किसी अन्य परिवार या पुरुष के साथ जुड़ जाता है।

भाषा रवि कांत रवि कांत पारुल

पारुल


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