चंडीगढ़, 10 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की ‘आत्महत्या’ के मामले की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने की मांग की।
रोहतक से सांसद ने कहा, ‘हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या बेहद दुखद है। इसने न केवल राज्य को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है। पूरी व्यवस्था संदेह के घेरे में है।’
हुड्डा ने कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच केवल सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में ही संभव होगी।
उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी व्यवस्था में जनता का विश्वास बहाल करना है और यह तभी संभव होगा जब न्याय होगा।
हुड्डा ने कहा, ‘पूरा देश, विशेषकर दलित समुदाय, सरकार से न्याय सुनिश्चित करने की उम्मीद कर रहा है और कोई भी जांच को प्रभावित नहीं कर सकता है।’
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2001 बैच के 52 वर्षीय अधिकारी कुमार को चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित उनके आवास के एक कमरे में गोली लगने से घायल अवस्था में पाया गया था।
चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को इस मामले की ‘शीघ्र, निष्पक्ष और गहन जांच’ के लिए छह सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया।
हुड्डा ने कहा कि कुमार की पत्नी अमनीत कुमार द्वारा उनके ‘अंतिम नोट’ के आधार पर दर्ज कराई गई शिकायत में हरियाणा के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम हैं, उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया गया है और पूरी व्यवस्था पर अन्य गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘कुछ वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों से जुड़े ऐसे आरोप बेहद गंभीर और चिंताजनक हैं। अब निष्पक्ष जांच से ही न्याय संभव है।’
चंडीगढ़ पुलिस ने बृहस्पतिवार देर शाम को मृतक पुलिस अधिकारी के ‘सुसाइड नोट’ के आधार पर आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की।
पूरण कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नाम लिया था। उन्होंने विशेष रूप से हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया पर कथित रूप से उन्हें परेशान करने और बदनाम करने का आरोप लगाया था।
भाषा तान्या अविनाश
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