दिल्ली: अदालत में प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर, नगर सरकार और प्राधिकारियों को बनाया प्रतिवादी

दिल्ली: अदालत में प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर, नगर सरकार और प्राधिकारियों को बनाया प्रतिवादी

दिल्ली: अदालत में प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर, नगर सरकार और प्राधिकारियों को बनाया प्रतिवादी
Modified Date: November 30, 2025 / 06:47 pm IST
Published Date: November 30, 2025 6:47 pm IST

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके राष्ट्रीय राजधानी में खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि पिछले कई वर्षों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है और विशेष रूप से सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अक्सर ‘बहुत खराब’, ‘गंभीर’ और ‘खतरनाक’ श्रेणियों में पहुंच जाता है।

इसमें कहा गया है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और पहले से बीमार लोगों सहित निवासियों में लगातार गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

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यह याचिका ग्रेटर कैलाश-2 वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर की गई है। इसमें अदालत से शहर के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक, दोनों तरह के प्रभावी और वैज्ञानिक उपाय करने का आदेश देने का आग्रह किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट के बावजूद प्राधिकारी ‘‘वस्तुतः निष्क्रिय’’ बने हुए हैं, तथा उन्होंने चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) के तीसरे चरण के उपाय तभी लागू किये गए जब एक्यूआई अपने गंभीर स्तर को पार कर गया।

इसमें आरोप लगाया गया कि सरकार ने वास्तविक कार्यान्वयन सुनिश्चित किए बिना केवल कागज पर उपाय निर्धारित करने तक ही खुद को सीमित रखा है।

याचिका में कहा गया, ‘‘आज तक कोई वास्तविक या पर्याप्त जमीनी कदम नहीं उठाया गया, बल्कि विलंबित और दिखावटी कार्रवाई से केवल देरी हुई है, लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को लापरवाही से खतरे में डाला गया है और वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की गंभीरता के प्रति पूर्ण उपेक्षा प्रदर्शित की गई है।’’

इसमें कहा गया है कि विशेषज्ञों ने 21 नवंबर को ‘रेड अलर्ट’ जारी कर चेतावनी दी थी कि दिल्ली की हवा ‘जीवन के लिए खतरनाक’ हो गई है, फिर भी अधिकारियों द्वारा कोई ठोस या प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।

याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को दिए गए कई अनुरोध व्यर्थ गए हैं।

याचिका में दिल्ली सरकार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया है।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश


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