नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी कार्यालयों को निर्देश दिया कि कार्यस्थलों पर कर्मचारियों की संख्या अधिकतम 50 प्रतिशत होनी चाहिए और शेष कर्मचारियों को घर से काम करना होगा।
यह निर्देश गंभीर वायु प्रदूषण के कारण लागू चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य संस्थानों, परिवहन, स्वच्छता और आपातकालीन सेवाओं सहित कुछ क्षेत्रों में हालांकि छूट दी गई है।
श्रम विभाग द्वारा जारी एक परामर्श के अनुसार, यह निर्देश वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा नवंबर में हुई सुनवाई और परामर्श के बाद जीआरएपी में किए गए संशोधनों के बाद जारी किया गया है।
परामर्श में चेतावनी दी गई है कि नियमों का पालन न करने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 और 16 तथा अन्य लागू कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परामर्श के मुताबिक, यह निर्णय वाहनों की आवाजाही को कम करने के लिए लिया गया है।
गाड़ियों की आवाजाही वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देती है, विशेष रूप से उस समय, जब वायु गुणवत्ता का स्तर बहुत खराब हो।
आदेश के अनुसार, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी निजी कार्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके आधे से अधिक कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित न हों, जबकि शेष कर्मचारियों के लिए घर से काम करना अनिवार्य होगा।
निजी संस्थाओं को यह भी निर्देश दिया गया कि वे जहां भी संभव हो, अलग-अलग कार्य समय लागू करें, घर से काम करने के नियमों का सख्ती से पालन करें और कार्यालय आने-जाने से संबंधित वाहनों की आवाजाही को कम से कम करें।
परामर्श में बताया गया कि अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक व निजी स्वास्थ्य संस्थानों, अग्निशमन सेवाओं, कारागारों, सार्वजनिक परिवहन, बिजली, पानी, स्वच्छता तथा संबंधित निगम सेवाओं, आपदा प्रबंधन सेवाओं व वायु प्रदूषण नियंत्रण, निगरानी एवं प्रवर्तन गतिविधियों में लगे विभागों को छूट दी गई है।
भाषा जितेंद्र रंजन
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