नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध करने वाले हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्र पिल्लई के आवेदन को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया।
विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें ‘‘विचार योग्य तथ्य नहीं हैं।’’
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में दाखिल अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि पिल्लई भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के. कविता के करीबी सहयोगी थे। कविता तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी हैं।
न्यायाधीश ने तपेदिक (टीबी) सहित कई बीमारियों का हवाला देते हुए चिकित्सा आधार पर राहत का अनुरोध करने वाली पिल्लई की अर्जी खारिज कर दी।
न्यायाधीश ने कहा कि पिल्लई पहले ही टीबी का पूरी तरह इलाज करा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि तपेदिक एक इलाज योग्य बीमारी है। उन्होंने कहा कि अगर उपचार का पालन किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है, हालांकि इसकी पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, आवेदक के मामले में ऐसा नहीं है कि तपेदिक की पुनरावृत्ति हुई है या उन्हें फिर से उपरोक्त बीमारी से पीड़ित पाया गया है। इसलिए, यह तथ्य कि वह वर्ष 2009 में तपेदिक के रोगी थे, इस आवेदन के निपटान के लिए बिल्कुल भी मायने नहीं रखता है।’’
अदालत ने पिल्लई के पूर्व में कोविड से संक्रमित होने समेत अन्य दलीलों को भी खारिज कर दिया।
ईडी का धन शोधन मामला सीबीआई द्वारा आबकारी नीति मामले में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 में इसे रद्द कर दिया था।
भाषा
शफीक वैभव
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