उपराज्यपाल के प्राधिकार को चुनौती देने वाले सात मामले वापस लेने के लिए न्यायालय पहुंची दिल्ली सरकार

उपराज्यपाल के प्राधिकार को चुनौती देने वाले सात मामले वापस लेने के लिए न्यायालय पहुंची दिल्ली सरकार

उपराज्यपाल के प्राधिकार को चुनौती देने वाले सात मामले वापस लेने के लिए न्यायालय पहुंची दिल्ली सरकार
Modified Date: May 22, 2025 / 12:16 pm IST
Published Date: May 22, 2025 12:16 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के प्रयासों से संबंधित एक समिति समेत कई निकायों में उपराज्यपाल के प्राधिकार को चुनौती देने वाले उन सात मामलों को वापस लेने का अनुरोध करते हुए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जो पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के कार्यकाल में दर्ज कराए गए थे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत दिल्ली सरकार द्वारा दायर अर्जी को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अर्जी में शीर्ष अदालत में लंबित उन सात मामलों को वापस लेने का अनुरोध किया गया है जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, यमुना की सफाई सहित कई समितियों में उपराज्यपाल के प्राधिकार को चुनौती दी गई है और अधिनियमों एवं अध्यादेशों की वैधता के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं।

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भाटी ने कहा, ‘‘इन मामलों के कारण अब इस अदालत को परेशानी नहीं होनी चाहिए।’’

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भाटी से कहा, ‘‘हम इन सभी मामलों को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करेंगे और अर्जी पर विचार करेंगे।’’

तत्कालीन ‘आप’ सरकार द्वारा दायर मामलों में से एक मामले में सुनवाई करते समय शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर जुलाई 2023 में रोक लगा दी थी जिसमें उपराज्यपाल को यमुना नदी के पुनरुद्धार से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था।

न्यायालय ने एनजीटी के 19 जनवरी, 2023 के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी और उस याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया था जिसकी याचिका पर अधिकरण ने आदेश पारित किया था।

भाषा

सिम्मी वैभव

वैभव


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