नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें कालकाजी विधानसभा सीट के चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को जारी करने का अनुरोध किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कालकाजी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।
निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने आगामी बिहार चुनावों में ईवीएम और वीवीपैट के इस्तेमाल को देखते हुए इन्हें जारी करने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने यह कहते हुए आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ईवीएम को संरक्षित नहीं रख सकता है, लेकिन ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) पर्चियों को अगले आदेश तक संरक्षित रख सकता है।
यह आवेदन एक लंबित याचिका में दायर किया गया था जिसमें ‘‘भ्रष्ट आचरण’’ के आधार पर चुनाव में आतिशी की जीत को चुनौती दी गई थी।
यह आवेदन इसलिए दायर किया गया क्योंकि अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में भारत निर्वाचन आयोग, निर्वाचन अधिकारी और पुलिस को कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों के सभी रिकॉर्ड संरक्षित रखने का निर्देश दिया था और कहा था कि वे भविष्य में उसके आदेश में संशोधन का अनुरोध कर सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उन्हें ईवीएम जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वीवीपैट पर्चियों को संरक्षित किया जाना आवश्यक है।
इस मामले की सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
कालकाजी निवासी याचिकाकर्ताओं कमलजीत सिंह दुग्गल और आयुष राणा ने आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी की जीत को चुनौती देते हुए दावा किया कि वह और उनके मतदान एजेंट भ्रष्ट आचरण में संलिप्त थे।
अधिवक्ता टी सिंहदेव के माध्यम से दायर याचिका में उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया गया।
आतिशी ने कालकाजी सीट पर भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी रमेश बिधूड़ी को 3,521 मतों से हराया था।
मतदान पांच फरवरी को हुआ था और परिणाम आठ फरवरी को घोषित किये गये थे।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव