अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ रही आगे, बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सशक्तः आरबीआई रिपोर्ट

अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ रही आगे, बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सशक्तः आरबीआई रिपोर्ट

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  • Publish Date - December 31, 2025 / 10:26 PM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 10:26 PM IST

मुंबई, 31 दिसंबर (भाषा) भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू मांग में तेजी, नियंत्रित महंगाई और बैंकों की मजबूत वित्तीय स्थिति के समर्थन से मजबूत रफ्तार से आगे बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया।

आरबीआई की दिसंबर 2025 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के मुताबिक, देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। बैंकों के मजबूत बहीखाते, अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों और वित्तीय बाजारों में कम उतार-चढ़ाव ने इसे समर्थन दिया है।

हालांकि, आरबीआई ने आगाह किया कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण निकट भविष्य में कुछ जोखिम बने हुए हैं।

यह रिपोर्ट ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद’ (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक आकलन को दर्शाती है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी और नकदी भंडार है, ऋण गुणवत्ता में सुधार हुआ है और मुनाफा भी मजबूत है।

आरबीआई ने व्यापक दबाव परीक्षण निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए कहा कि बैंक मुश्किल हालात में भी संभावित नुकसान झेलने में सक्षम हैं और उनका पूंजी बफर नियामकीय न्यूनतम स्तर से कहीं ऊपर बना रहता है। इन परीक्षणों में म्यूचुअल फंड कंपनियों और समाशोधन निगमों की स्थिति भी मजबूत पाई गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात सामान्य स्थिति में मार्च 2027 तक घटकर 1.9 प्रतिशत रह सकता है। सितंबर 2025 में यह अनुपात 2.1 प्रतिशत था, जो कई दशकों के निचले स्तर के करीब है।

हालांकि, प्रतिकूल परिस्थितियों में यह अनुपात बढ़कर 3.2 प्रतिशत से लेकर 4.2 प्रतिशत तक जा सकता है।

पूंजीगत मोर्चे पर आरबीआई ने कहा कि सितंबर 2025 तक जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के मुकाबले पूंजी अनुपात सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 16 प्रतिशत और निजी बैंकों में 18.1 प्रतिशत रहा जो मजबूत स्थिति है।

अर्थव्यवस्था के संदर्भ में रिपोर्ट कहती है कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली और दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। पहली तिमाही में वृद्धि 7.8 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत रही। इसे निजी खपत और सरकारी पूंजीगत खर्च से समर्थन मिला।

रिपोर्ट कहती है, ‘वृद्धि की संभावनाएं आगे भी सकारात्मक बनी हुई हैं। कम महंगाई, अनुकूल वित्तीय हालात, सामान्य से बेहतर मानसून, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में कटौती और डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का विस्तार इसमें मददगार रहेगा।’

आरबीआई ने मुद्रा बाजार पर अपनी टिप्पणी में कहा कि रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ जो ऊंचे आयात शुल्क से व्यापार पर आए दबाव और पूंजी प्रवाह में सुस्ती का नतीजा है।

रिपोर्ट कहती है कि भारत पर प्रभावी अमेरिकी शुल्क दर अन्य व्यापारिक साझेदारों की तुलना में अधिक होने के कारण, वैश्विक स्तर पर डॉलर कमजोर होने के बावजूद रुपये पर दबाव बना रहा।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण