दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) महिला से 30 लाख रुपये की ठगी सहित साइबर धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों में दो लोगों को गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि जांच में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के माध्यम से ठगी, फर्जी निवेश योजनाओं और कई राज्यों में कई फर्जी खातों के जरिये धनशोधन में शामिल एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें करोड़ों रुपये की रकम का लेन-देन हुआ है।
अधिकारियों के अनुसार, पहला मामला भारतीय मूल की एक अमेरिकी नागरिक का है, जिसे दिल्ली पहुंचने के कुछ ही समय बाद निशाना बनाया गया था।
उन्होंने बताया कि छह दिसंबर को महिला को एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से कॉल आया था।
फोन करने वाले व्यक्ति ने सैन फ्रांसिस्को दूतावास का अधिकारी होने का दावा किया और कहा कि उन्हें अमेरिका में दोबारा प्रवेश करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके बाद महिला की दिल्ली पुलिस मुख्यालय के अधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति से बात कराई गयी और पुलिस की वर्दी पहने धोखेबाजों ने बार-बार वीडियो कॉल किए।
उन्होंने बताया कि महिला को कथित तौर पर धमकाया गया और दबाव डालकर 30 लाख रुपये एक फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लिये गए।
अधिकारी ने बताया कि अपराध शाखा में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई तथा पुलिस टीम ने पाया कि धोखाधड़ी से प्राप्त राशि पंजाब की एक कंपनी के खाते में जमा की गई और तुरंत कई अन्य खातों में अंतरित कर दी गई, जिसके बाद कुछ ही मिनटों में अलग-अलग राज्यों से निकाल भी ली गई।
पुलिस ने मोहाली एवं चंडीगढ़ में छापेमारी की और वरुण नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो साझेदारों में से एक था और जिस खाते में रुपये गये, उसका अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता था।
पुलिस के मुताबिक, छापेमारी के दौरान 38 एटीएम कार्ड, 51 चेकबुक, कई मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 2.45 लाख रुपये नकद और एक ‘एसयूवी’ कार जब्त की गई।
दूसरे मामले में, दिल्ली के एक निवासी को एक फर्जी निवेश योजना के माध्यम से कथित तौर पर 31.45 लाख रुपये का चूना लगाया गया।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित को एक व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से बहला-फुसलाकर एक फर्जी ट्रेडिंग ऐप्लिकेशन इंस्टॉल करने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस के मुताबिक, उसे ज्यादा मुनाफे का वादा कर छह अलग-अलग बैंक खातों में रुपये अंतरित करने के लिए प्रेरित किया गया।
पुलिस ने बताया कि रुपये के अंतरित होते ही व्हाट्सऐप ग्रुप खत्म हो गया और ऐप्लिकेशन ने काम करना बंद कर दिया।
पीड़ित ने बाद में पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर अपराध शाखा को जांच सौंप दी गयी।
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी की पहचान अर्जुन सिंह (39) के रूप में हुई है, जो गुजरात के सुरेंद्र नगर का निवासी है।
पुलिस ने बताया कि उसके दो अन्य साथी फरार हैं और उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास जारी हैं।
भाषा जितेंद्र सुरेश
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