नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने स्नातकोत्तर चिकित्सा विद्यार्थियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात करने का निर्देश दिया है।
आयोग ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब उत्तर भारत के कई राज्य लगातार बारिश के बाद प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं।
आयोग द्वारा शनिवार को जारी एक परिपत्र के अनुसार, उत्तर भारत के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बाढ़/आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्नातकोत्तर चिकित्सा विद्यार्थियों की तैनाती को ‘जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम’ प्रशिक्षण का हिस्सा माना जाएगा।
स्नातकोत्तर चिकित्सा विद्यार्थियों के लिए ‘जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम’ क्षेत्रीय स्तर पर लोगों की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को समझने का अवसर प्रदान करता है।
आयोग ने कहा कि देश के उत्तरी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाल में आई बाढ़/आपदा जैसी स्थितियों को देखते हुए जारी राहत उपायों के तहत स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की तत्काल आवश्यकता है।
आयोग ने कहा कि इस पहल से न केवल क्षेत्रीय स्तर पर अत्यंत आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी बल्कि युवा चिकित्सा पेशेवरों को आपदा प्रतिक्रिया, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन और सामुदायिक सेवा में सार्थक अनुभव प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
गृह मंत्रालय ने भी उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की अपील की है और कई स्नातकोत्तर चिकित्सकों ने स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देने की इच्छा जतायी है।
परिपत्र के मुताबिक, “सीखने और सेवा, दोनों के लिए एक अच्छे अवसर को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग इसे स्नातकोत्तर प्रशिक्षण के एक घटक के रूप में मान्यता देता है।”
भाषा जितेंद्र अमित
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