भारत सरकार लॉन्च करेगी अपनी खुद की Digital Currency, कैसे होगी Cryptocurrency से अलग?
भारत सरकार लॉन्च करेगी आपनी खुद की Digital Currency! Digital Currency News: difference between cryptocurrency & digital currency
नई दिल्ली: Digital Currency News केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज देश का आम बजट पेश किया। बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे मिडिल क्लास जरूर मायूस होगी। हालांकि कॉर्पोरेट टैक्स को 18% से घटाकर 15% किया गया है। सरकार ने ये भी ऐलान किया है कि क्रिप्टोकरंसी से इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। इसके अलावा वर्चुअल करंसी के ट्रांसफर पर 1 फीसदी TDS लगेगा। कहा गया कि अगर वर्चुअल एसेट को गिफ्ट के तौर पर दिया जाता है तो टैक्स वह शख्स देगा जिसको वह virtual asset गिफ्ट के तौर पर मिली है। इन सब में सबसे बड़ी बात रही भारतीय सरकार का रुपये की डिजिटल करेंसी को इसी साल चालू किया जाना।
Digital Currency News अब ऐसे में आप लोगों के मन में डिजिटल करेंसी को ले कर कई सवाल होंगे। जैसे डिजिटल करेंसी कैसी होगी। क्या ये क्रिप्टोकरंसी जैसी होगी। डिजिटल करेंसी और हमारे पास जो नोट और सिक्के हैं उनमें क्या फर्क होगा। और क्या इससे हमारे लेन-देन के प्रोसेस में कुछ बदलाव आएगा।
आज हम इन सारे सवालों का जवाब देंगे।
करंसी क्या है?
मुद्रा का वो रूप जिससे हम कोई भी product और service को खरीद सकते हैं और जिसे सरकार की बैकिंग होती है। उसे करंसी कहते हैं।
डिजिटल करंसी क्या है?
ये उसी कैश का इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे हम रोज़मर्रा की ज़िदगी में इस्तेमाल करते हैं। जैसे आप कैश का लेन-देन करते हैं, वैसे ही आप डिजिटल करेंसी का लेन-देन भी कर सकेंगे। CBDC कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन या ईथर जैसी) जैसे काम करती है। यानी ये blockchain तकनीक पर काम करेगी। अब blockchain technology के कुछ ऐसे फायदे हैं जिसे सरकार यूज़ करना चाहती है। इसका पहला फायदा है सेक्यूरिटि। Physical currency को ट्रेस करना काफी मुश्किल होता है। इसी वजह से देश की economy में black money circulate करता है। Demonatization इसी black money को ट्रेस करने का एक प्रयास था। लेकिन blockchain technology के ज़रिए सरकार आपके ट्रांसैक्शन्स को काफी आसानी से ट्रेस कर सकते हैं। क्योंकि ये एक ऐसे बही खाते के जैसे होती है जहां हर ट्रांसैक्शन का रिकार्ड हर किसी के पास दर्ज होता है। तो इससे प्राईवेसी भी बेहतर होती है।
क्रिप्टोकरंसी और डिजिटल करंसी में फर्क
डिजिटल करेंसी का कंसेप्ट नया नहीं है। यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से आया है, जो 2009 में लॉन्च हो गई थी। इसके बाद ईथर, डॉगेकॉइन से लेकर पचासों क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च हो चुकी हैं। पिछले कुछ सालों में यह एक नए असेट क्लास के रूप में विकसित हुई है, जिसमें लोग इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट लोग या कंपनियां जारी करती हैं। इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती। गुमनाम रहकर भी लोग ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, जिससे आतंकी घटनाओं और गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें किसी भी केंद्रीय बैंक का सपोर्ट नहीं है। यह करेंसी लिमिटेड है, इस वजह से सप्लाई और डिमांड के हिसाब से इसकी कीमत घटती-बढ़ती है।
पर जब आप डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो इसे केंद्रीय बैंक यानी हमारे यहां रिजर्व बैंक लॉन्च कर रहा है। न तो क्वांटिटी की सीमा है और न ही फाइनेंशियल और मौद्रिक स्थिरता का मुद्दा। एक रुपए का सिक्का और डिजिटल रुपया समान ताकत रखता है। पर डिजिटल रुपए की मॉनिटरिंग हो सकेगी और किसके पास कितने पैसे हैं, यह रिजर्व बैंक को पता होगा। हालांकि, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में से एक वजीरएक्स में एवीपी-मार्केटिंग परीन लाठिया कहते हैं कि रिजर्व बैंक के डिजिटल करेंसी लॉन्च करने से बिटकॉइन या क्रिप्टोकरेंसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की असेट बन चुकी है, जिसका दुनियाभर में ट्रेड होता रहेगा। भारत इसमें पीछे नहीं रह सकता।
सरकार को क्यों पड़ी डिजिटल करेंसी लाने की ज़रूरत
लोगों का बिटकॉइन और इसके जैसी क्रिप्टोकरंसी में इंटेरस्ट बढ़ा है। ऐसे में क्योंकि सरकार क्रिप्टोकरंसी को रेगुलेट नहीं कर सकती थी इसिलिए ये ज़रूरी था कि सरकार एक रेगुलेटेड डिजिटल करंसी को सामने लाए जिससे एक तरफ तो लोगों को सहुलियत हो लेकिन सरकार इसपर नज़र भी रख पाए कि क्या करंसी का गलत गतिविधियों में तो इस्तेमाल नहीं हो रहा।
डिजिटल करेंसी के फायदे और चुनौतियां
- एफिशियंसीः यह कम खर्चीली है। ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं। इसके मुकाबले करेंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च, लेन-देन की लागत भी अधिक है।
- फाइनेंशियल इनक्लूजनः डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है। यह ऑफलाइन भी हो सकता है।
- भ्रष्टाचार पर रोकः डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल रुपए की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है।
- मॉनेटरी पॉलिसीः रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है। मार्केट में रुपए की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा।
- कैश पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी
- करेंसी नोटस छापने और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बचेगा
- टेरर फंडिंग: क्रिप्टोकरेंसी बैन होगी तो टेरर फंडिंग को रोकने में मदद मिलेगी
- डिजिटल करेंसी से ट्रांजैक्शन जल्दी पूरे होंगे
- करेंसी की ट्रैकिंग होगी, जिससे उसे छिपाया नहीं जा सकेगा
डिजिटल करेंसी और डिजिटल पेमेंट में फर्क
बहुत अलग है। आपको लग रहा होगा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन तो बैंक ट्रांसफर, डिजिटल वॉलेट्स या कार्ड पेमेंट्स से हो ही रहे हैं, तब डिजिटल करेंसी अलग कैसे हो गई? यह समझना बेहद जरूरी है कि ज्यादातर डिजिटल पेमेंट्स चेक की तरह काम करते हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं। वह आपके अकाउंट में जमा राशि से ‘वास्तविक’ रुपए का पेमेंट या ट्रांजैक्शन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई संस्थाएं, लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट किया तो क्या तत्काल सामने वाले को मिल गया? नहीं। डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक ले लेता है। यानी पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया है। जब आप डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो आपने भुगतान किया और सामने वाले को मिल गया। यही इसकी खूबी है। अभी हो रहे डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी बैंक के खाते में जमा रुपए का ट्रांसफर है। पर CBDC तो करेंसी नोट्स की जगह लेने वाले हैं।
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