द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने राज्यसभा में की कीझड़ी उत्खनन रिपोर्ट के शीघ्र प्रकाशन की मांग
द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने राज्यसभा में की कीझड़ी उत्खनन रिपोर्ट के शीघ्र प्रकाशन की मांग
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य तिरुचि शिवा ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा केंद्र सरकार से कीझड़ी उत्खनन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट तत्काल प्रकाशित करने की मांग की और कहा कि इसमें हो रहा विलंब “तमिल लोगों को अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को समझने के अवसर से वंचित करने” के समान है।
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए शिवा ने कहा कि मदुरै के पास शिवगंगा जिले में स्थित कीझड़ी उत्खनन स्थल की पहचान एएसआई ने 2013-14 में की थी और पुरातत्वविद् के. अमरनाथ रामकृष्ण के नेतृत्व में टीम ने दो वर्षों के भीतर 7,500 कलाकृतियां खोजी थीं।
उन्होंने दावा किया कि 2016 में अमरनाथ के स्थानांतरण के बाद “यह प्रक्रिया ठप हो गई।” उन्होंने बताया कि 2017 में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद राज्य पुरातत्व विभाग ने उत्खनन का कार्य संभाला और 15,000 अतिरिक्त कलाकृतियां खोजीं, जिनमें तमिल ब्राह्मी लिपि वाले बर्तन शामिल थे। समझा जाता है कि इनकी तिथि ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी की है।
शिवा ने कहा कि 2021 में जब अमरनाथ एएसआई के चेन्नई सर्किल के अधीक्षक के रूप में लौटे, तो उन्होंने दो वर्षों के कार्य के बाद 988 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। इसमें अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित बीटा लैब में कराई गई कार्बन डेटिंग के निष्कर्ष भी शामिल थे।
उन्होंने कहा कि 2023 में मद्रास उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील द्वारा नवंबर 2024 तक रिपोर्ट प्रकाशित करने का आश्वासन दिए जाने के बाद भी यह अब तक प्रकाशित नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, “अब दिसंबर 2025 है। अब तक यह नहीं किया गया। इतना विलंब क्यों?”
शिवा ने कहा कि तमिलनाडु सरकार पहले से ही एक संग्रहालय संचालित कर रही है, जहां प्रतिदिन 3,000 से 4,000 आगंतुक आते हैं, जबकि सप्ताहांत में यह संख्या 5,000 से 6,000 तक पहुंच जाती है।
द्रमुक सदस्य ने सरकार से उत्खनन रिपोर्ट को विशेषज्ञों से परामर्श और समीक्षा प्रक्रिया के विवरण के साथ प्रकाशित करने का आग्रह किया, ताकि “वैज्ञानिक पारदर्शिता बढ़े और यह सुनिश्चित हो सके कि सांस्कृतिक सत्य को दबाया न जाए।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भले ही यह उत्खनन तमिलनाडु में हुआ हो, लेकिन “यह भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है।”
भाषा मनीषा माधव
माधव

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