नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर पति पत्नी के बीच तलाक हो गया है तो उसके बाद दहेज का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। दरसअल, कोर्ट का मानना है कि आईपीसी की धारा 498A या दहेज निषेध अधिनियम के किसी भी प्रावधान के तहत दंपत्ति के अलग हो जाने के बाद अभियोजन टिकाऊ नहीं रहेगा।
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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने आईपीसी की धारा 498 ए दिए कुछ शब्दों पर जोर दिया है। जिसमें कहा गया है पति या महिला के पति का रिश्तेदार। कोर्ट ने कहा कि जब किसी मामले में तलाक हो चुका है। तो वहां यह धारा लागू नहीं होता है। इसी तरह से दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज नहीं हो सकता है।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के समझ एक शख्स यह मामला लेकर पहुंचा था, जिनकी मांग थी कि धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किया जाए। क्योंकि दंपत्ति के बीच तलाक को चार साल हो चुके हैं। ऐसे में यह मामला तर्कसंगत नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि इस बहस में ज्यादा वास्तविकता है। कोर्ट का कहना था कि क्योंकि महिला के अनुसार उनका तलाक चार साल पहले हो चुका है, इसलिए हम इस मत में है कि आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेद अधिनियम 1961 की धारा 3/4 के तहत तर्कसंगत नहीं है। यह कहकर कोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया।
वेब डेस्क, IBC24