Election symbols of these parties including BJP's lotus will be cancelled?

रद्द होंगे बीजेपी का कमल सहित इन पार्टियों के चुनाव चिन्ह? धार्मिक पहचान को लेकर लगी याचिका पर कोर्ट में बहस

Edited By :   Modified Date:  March 21, 2023 / 07:36 PM IST, Published Date : March 21, 2023/7:33 pm IST

petition regarding religious identity: नईदिल्ली। देश में कई पार्टियों के नाम और उनके चुनाव निशान का अगर विश्लेषण किया जाए तो उसमें धार्मिक पहचान निकाल सकते हैं। एक मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसमें कई पार्टियों के नाम लिए जाने लगे जबकि याचिकाकर्ता ने केवल दो पार्टियों के नाम लिए थे। ऐसे में दलीलें रखी गईं और इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिंह पर भी चर्चा शुरू हो गई।

दरअसल, राजनीतिक पार्टियों के नाम और प्रतीक में धार्मिक पहचान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई है। यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने याचिका डाली है। उन्होंने कोर्ट से चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की है कि उन पार्टियों के सिंबल और नाम रद्द किए जाएं जिनके नाम और प्रतीक में धर्म का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग IUML ने सुप्रीम कोर्ट से भारतीय जनता पार्टी को भी पक्षकार बनाने की मांग की है। IUML का कहना है कि रिजवी की याचिका में केवल उसे और AIMIM को ही पार्टी बनाया गया है। इसकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कमल का फूल भी धार्मिक प्रतीक है और यह सीधे तौर पर हिंदू-बौद्ध धर्म से संबंधित है। ऐसे में याचिका में भाजपा को भी शामिल किया जाना चाहिए।

petition regarding religious identity: दुष्यंत दवे ने तर्क रखा कि कम से कम 26 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां हैं। उन्होंने कोर्ट से सभी को प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया। इनमें प्रमुख पार्टियां हैं- शिरोमणि अकाली दल , शिवसेना, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (सेक्युलर), अखिल भारतीय राम राज्य परिषद, ऑल इंडिया क्रिश्चन डेमोक्रेटिक और बैकवर्ड पीपल्स पार्टी, क्रिश्चन डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिंदू महासभा, हिंदू सेना, शिवाजी कांग्रेस पार्टी, शिवराज्य पार्टी आदि। ऐसी कई पार्टियों के नाम गिनाए गए।

IUML ने कहा, हिंदू धर्म के अनुसार, कमल देवी-देवताओं से संबंधित है और पवित्र भगवद्गीता में भी इसका जिक्र हुआ है। ऐसे में वरिष्ठ वकील दवे ने कहा कि याचिका या तो खारिज की जानी चाहिए या ऐसी सभी पार्टियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।

उधर, AIMIM  की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। ऐसे में इस पीटिशन का कोई औचित्य ही नहीं है। वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने (याचिकाकर्ता) मुस्लिम नाम वाली केवल दो पार्टियों का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। आखिर में पीठ ने मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दी।

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