नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता ज्योति जगताप की उस याचिका पर 21 सितंबर को सुनवाई करेगा, जिसमें उनकी जमानत याचिका को अस्वीकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।
बंबई उच्च न्यायालय ने जगताप को जमानत देने से 17 अक्टूबर, 2022 को इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का मामला ‘‘प्रथम दृष्टया सही’’ है और वह प्रतिबंधित संगठन भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)(माओवादी) द्वारा रची गई ‘‘एक बड़ी साजिश’’ का हिस्सा थीं।
यह याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष पेश की गई।
एनआईए की ओर से पेश वकील ने दो सप्ताह का समय मांगा और कहा कि जवाबी हलफनामा पुनरीक्षण के लिए भेजा गया है।
वकील ने कहा, ‘‘जवाबी हलफनामा एनआईए को भेजा गया है।’’
वकील ने न्यायालय से दो सप्ताह बाद के लिए मामले को सूचीबद्ध करने की अपील की।
याचिकाकर्ता की वकील अपर्णा भट ने पीठ से कहा कि जगताप करीब तीन साल से हिरासत में हैं, इसलिए शीर्ष अदालत को इस मामले पर सुनवाई के लिए एक तारीख तय करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की जाती है। इसे 21 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कीजिए। प्रतिवादी को उच्च न्यायालय की संपूर्ण दलीलों को शामिल करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने दें।’’
पीठ ने 14 सितंबर तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने ‘‘एक प्रकार के फॉर्मूला’’ के आधार पर पहले दो आरोपियों की याचिकाओं पर फैसला किया था और इस मामले में यह विचारणीय है कि यह उस फॉर्मूले में फिट बैठता है या नहीं।
न्यायमूर्ति बोस की अगुवाई वाली न्यायालय की पीठ ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को 28 जुलाई को जमानत दे दी थी। पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया था कि वे दोनों पांच वर्ष से हिरासत में हैं।
न्यायालय ने चार मई को जगताप की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा था। जगताप ने उन्हें ज़मानत देने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप उस कबीर कला मंच (केकेएम) समूह की सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर में एल्गार परिषद सम्मेलन में अपने नाटक के दौरान न केवल ‘‘आक्रामक, बल्कि अत्यधिक भड़काऊ नारे’’ लगाए।
अदालत ने कहा था, ‘‘हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता (जगताप) के खिलाफ एनआईए के आरोपों पर भरोसा करने के लिए उचित आधार हैं…।’’
एनआईए ने आरोप लगाया था कि केकेएम प्रतिबंधित आतंकी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा-माओवादी) का एक मुखौटा संगठन है।
भाषा
सिम्मी मनीषा
मनीषा
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