कोहिमा, 30 अप्रैल (भाषा) ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने घोषणा की है कि वह अलग राज्य के लिए अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को ‘‘अस्थायी रूप से सीमित करने के लिए मजबूर है’’ और उसने राज्य के छह पूर्वी जिलों में एक निश्चित स्तर की स्वायत्तता के लिए केंद्र की पेशकश को स्वीकार कर लिया है।
ईएनपीओ के मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा कि पूर्वी नगालैंड के छह जिलों में आदिवासी संगठनों के शीर्ष निकाय ने सहमति पत्र के मसौदे और नगालैंड सरकार द्वारा भेजे गए पत्रों पर गृह मंत्रालय को अपना ‘रुख’ बता दिया है।
इसने आरोप लगाया कि 1963 में नगालैंड राज्य के निर्माण के बाद से पूर्वी नगालैंड क्षेत्रों को उपेक्षित किया गया है और 2010 से राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है।
संगठन किफिर, लोंगलेंग, मोन, नोकलाक, शामटोर और तुएनसांग जिलों को मिलाकर फ्रंटियर नगालैंड क्षेत्र (एफएनटी) के गठन की मांग कर रहा है।
ईएनपीओ ने ‘‘अलग राज्य’’ की अपनी मांग को कायम रखते हुए कहा, “भारत सरकार की असमर्थता को देखते हुए वह अस्थायी रूप से अपने रुख को सीमित करने के लिए बाध्य है, लेकिन इस शर्त के साथ कि एफएनटी व्यवस्था की 10 वर्षों में समीक्षा की जाएगी, और अन्य सभी अनसुलझे मामलों को लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से उठाया जाएगा।”
भाषा जोहेब नेत्रपाल
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