Jaishankar Russia Visit News: ट्रंप को भारत का कड़ा संदेश! टैरिफ वॉर के बीच इस दिन रूस दौरे पर जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, जानिए क्या है उनके इस दौरे का मकसद?
टैरिफ वॉर के बीच इस दिन रूस दौरे पर जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, External Affairs Minister S Jaishankar will visit Russia on this day Amid tariff war
- एस. जयशंकर की रूस यात्रा के दौरान लावरोव और पुतिन से मुलाकात तय।
- ऊर्जा, व्यापार और यूक्रेन संघर्ष पर गहन चर्चा की संभावना।
- भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे जयशंकर।
नई दिल्ली: Jaishankar Russia Visit News: विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगले सप्ताह अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ महत्वपूर्ण वार्ता करने के लिए मास्को की यात्रा करेंगे। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर हाल में अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में कुछ तनाव आया है। जयशंकर की रूस यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की रूस यात्रा और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हो रही है।
Jaishankar Russia Visit News: विदेश मंत्री की मास्को यात्रा से परिचित लोगों ने बताया कि दोनों पक्ष इस वर्ष के अंत में पुतिन की भारत यात्रा के विभिन्न पहलुओं को भी अंतिम रूप दे सकते हैं। रूस के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता अलेक्सी फडेयेव ने मास्को में कहा कि दोनों देशों के विदेश कार्यालयों के प्रमुख “द्विपक्षीय एजेंडे के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों” पर चर्चा करेंगे। उपरोक्त सूत्रों ने बताया कि जयशंकर रूस की दो दिवसीय यात्रा पर होंगे और इस दौरान वह पुतिन से मुलाकात करने के अलावा विदेश मंत्री लावरोव के साथ व्यापक मुद्दों पर बातचीत भी कर सकते हैं। विदेश मंत्री द्वारा व्यापार और आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करने की भी उम्मीद है। बातचीत में रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव द्वारा किये जाने की संभावना है। मास्को में रूसी नेताओं के साथ जयशंकर की बैठकों में रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा खरीद पर चर्चा होने की संभावना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें नयी दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया। अतिरिक्त शुल्कों से भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ गया। रूस से कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर प्रतिबंध लगाने और उसकी आपूर्ति बाधित करने के बाद भारत ने रियायती दर पर बेचे जाने वाले रूसी तेल को खरीदना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप, 2019-20 में कुल तेल आयात में मात्र 1.7 प्रतिशत हिस्सेदारी से, 2024-25 में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई और अब यह भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। जयशंकर की मास्को यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच यूक्रेन विवाद पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है। भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष जुलाई में मास्को की यात्रा की थी और पुतिन से कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बमों और गोलियों के बीच शांति प्रयास सफल नहीं होते।

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