जलवायु वित्त पर विकसित देशों की विफलता एनडीसी को अप्राप्य बनाती है: सीओपी30 में भारत

जलवायु वित्त पर विकसित देशों की विफलता एनडीसी को अप्राप्य बनाती है: सीओपी30 में भारत

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  • Publish Date - November 16, 2025 / 01:07 AM IST,
    Updated On - November 16, 2025 / 01:07 AM IST

Today Live News and Updates 16th November 2025

नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) भारत ने जलवायु वित्त दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के लिए विकसित देशों की शनिवार को तीखी आलोचना की और चेतावनी दी कि विकासशील देश ‘‘अनुमानित, पारदर्शी और विश्वसनीय’’ वित्तीय सहायता के बिना अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकते।

ब्राजील के बेलेम में आयोजित सीओपी30 में जलवायु वित्त पर तीसरे उच्चस्तरीय मंत्रिस्तरीय संवाद में समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (एलएमडीसी) की ओर से भारत ने कहा कि जलवायु वित्त विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक है।

भारत की ओर से वार्ताकार सुमन चंद्रा ने कहा, ‘‘विकसित देशों से वित्तीय संसाधनों के बिना, विकासशील देश एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) को पूरा करने के लिए आवश्यक शमन और अनुकूलन के स्तर को प्राप्त नहीं कर सकते।’’

एनडीसी पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं हैं, जो उत्सर्जन में कटौती करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लक्ष्य निर्धारित करती हैं, तथा तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के वैश्विक प्रयासों का मार्गदर्शन करती हैं।

देशों को इस वर्ष 2031-2035 की अवधि के लिए एनडीसी का तीसरा दौर प्रस्तुत करना आवश्यक है, जिसे ‘‘एनडीसी 3.0’’ कहा जाता है।

भारत को अभी तक अपनी अद्यतन एनडीसी प्रस्तुत करनी है।

भारत ने कहा कि पेरिस समझौते ने विकसित देशों के लिए विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिए स्पष्ट कानूनी जिम्मेदारियां बनाई हैं।

भाषा नेत्रपाल राजकुमार

राजकुमार