‘अग्निपथ’ योजना : क्या युवाओं में फैलाया जा रहा भ्रम! Myths और Facts ..यहां जानें?

सूत्रों के अनुसार कुछ एकेडमी और कोचिंग संस्थान हैं जो यूट्यूब के माध्यम से छात्रों को भड़काने का काम कर रहे हैं। उन्हे फैक्ट नहीं बताकर उनके बीच भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे कुछ वीडियो यूट्यूब और सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।

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  • Publish Date - June 17, 2022 / 03:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

‘Agneepath’ scheme Myths and Facts: नईदिल्ली। सेना में भर्ती की योजना ‘अग्निपथ’ के ऐलान के बाद लगातार तीन दिनों से विरोध की आग जल रही है। UP, बिहार, MP, राजस्थान समेत 7 राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं। हरियाणा के रोहतक में सेना भर्ती की तैयारी कर रहे एक युवक ने सुसाइड कर लिया। विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार देर रात अग्निपथ स्कीम की एज लिमिट पहले साल के लिए 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है। फिर भी देश के कई राज्यों में हिंसा जारी है, युवक ट्रेनों की बोगियों को आग के हवाले कर रहे हैं।

सवाल सिर्फ एज लिमिट का नहीं है। अग्निपथ के ऐलान के बाद वे 5 बातें, जिनसे नौजवान आगबबूला हो गए हैं। सवाल यह है कि 4 साल की तैयारी के बाद 4 साल की नौकरी और फिर बेरोजगार हो जाएंगे? कोरोना के नाम पर देश में भर्ती रैलियां नहीं हुईं, लेकिन इसी दौरान बंगाल, UP, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा जैसे राज्यों बड़ी चुनावी रैलियां भी हुईं और चुनाव भी। फिजिकल और मेडिकल के बावजूद कम से कम 10 रैलियों को अधूरा छोड़ दिया गया, अब उन्हें रद्द कर दिया गया है। अग्निवीरों की बिल्ले, बैज और चिह्न समेत रैंक भी अलग होगा। युवाओं को डर है कि इससे भेदभाव बढ़ेगा। जिन 25% अग्निवीरों को आगे 15 साल के लिए चुना जाएगा उसका भी कोई साफ पारदर्शी तरीका नहीं।

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‘Agneepath’ scheme Myths and Facts: सूत्रों के अनुसार कुछ एकेडमी और कोचिंग संस्थान हैं जो यूट्यूब के माध्यम से छात्रों को भड़काने का काम कर रहे हैं। उन्हे फैक्ट नहीं बताकर उनके बीच भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे कुछ वीडियो यूट्यूब और सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।

क्या है मिथ और फैक्ट ?

केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित कई राज्यों ने कहा है कि वे अपने बलों की भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे, इसके बावजूद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस योजना को लेकर मिथ (भ्रांतियां) फैलाए जा रहे हैं। सरकार ने इस योजना के बारे में मिथ की जगह फैक्टस बताएं हैं और भ्रांतियां दूर करने की कोशिश की है।

मिथ- ‘अग्निवीरों’ का भविष्य असुरक्षित है।

फैक्ट- सेना से रिटायर होने के बाद ऐसे ‘अग्निवीर’ जो कारोबार शुरू करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्हें बैंक लोन भी मिलेगा, ऐसे ‘अग्निवीर’ जो आगे पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का सर्टिफिकेट एवं ब्रिजिंग कोर्स जाएगा। इन्हें सीएपीएफ एवं राज्यों की पुलिस की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। सरकार के अन्य उपक्रमों में भी इन्हें समायोजित किया जाएगा।

मिथ-‘अग्निपथ’ योजना की वजह से युवाओं के लिए सेना में अवसर कम होंगे।

फैक्ट- दरअसल इस योजना से सेना में युवाओं के लिए अवसर कम नहीं बल्कि बढ़ेंगे, आने वाले वर्षों में सेना में ‘अग्निवीरों’ की भर्ती मौजूदा समय से करीब तीन गुना बढ़ जाएगी।

मिथ- रेजिमेंट से जुड़ाव कमजोर होगा।

फैक्ट-सेना के रेजिमेंटल व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है, वास्तव में ‘अग्निवीरों’ के आने से रेजिमेंट की भावना और बढ़ेगी क्योंकि इसमें सर्वोत्तम जवान चुने जाएंगे।

मिथ-‘अग्निवीरों’ से सशस्त्र बलों की क्षमता प्रभावित होगी।

फैक्ट- सेना में इस तरह की सीमित सेवा की व्यवस्था ज्यादातर देशों में है, इस व्यवस्था को पहले से ही परखा जा चुका है। बूढ़ी होती सेना एवं युवाओं के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था माना जाता है। पहले साल भर्ती होने वाले ‘अग्निवीरों’ की संख्या सशस्त्र सेनाओं की संख्या की मात्र 3 फीसदी होगी।

मिथ-21 साल के जवान नादान एवं सेना के लिए भरोसेमंद नहीं होंगे।

फैक्ट-दुनिया की ज्यादातर सेनाएं अपने युवा जवानों पर निर्भर हैं, सेना में युवा जवानों की संख्या अनुभवी सैनिकों से ज्यादा हो जाए, ऐसा कभी समय नहीं आएगा, इस योजना के तहत धीरे-धीरे ‘अग्निवीरों’ की संख्या बढ़ाई जाएगी वह भी अनुभवी सैनिकों की तादाद को देखते हुए।

मिथ-समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं ‘अग्निवीर’, आतंकवादी बन सकते हैं।

फैक्ट-ऐसी सोच भारतीय सेना के मूल्यों एवं परंपरा के खिलाफ है. एक बार सेना की वर्दी पहन चुके युवा हमेशा देश और समाज के प्रति वफादार रहेंगे, सशस्त्र सेनाओं से हर साल हजारो लोग रिटायर होते हैं, उनके पास कौशल होता है, वह देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हों, ऐसा एक भी मामला नहीं आया है।

मिथ-‘अग्निपथ’ योजना के बारे में सशस्त्र सेनाओं के पूर्व अधिकारियों से सलाह-मशविरा नहीं किया गया।

फैक्ट- बीते दो सालों में सशस्त्र सेनाओं में सेवारत अधिकारियों से इस योजना पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है, इस योजना का प्रस्ताव डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री ऑफिसर्स के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है, इस विभाग को सरकार ने ही बनाया है। सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों ने इस योजना के लाभों को स्वीकार और इसका स्वागत किया है।

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खान सर पर भी लगा था ये आरोप

बता दें कि इसके पहले भी आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट के बाद छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया था। इस मामले में बिहार पुलिस ने पटना में खान सर के खिलाफ FIR दर्ज की थी, खान सर पर छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप था। पुलिस के मुताबिक, खान सर के अलावा कोचिंग संस्थानों के मालिकों ने छात्रों को भड़काने का काम किया था, जिसके बाद छात्रों ने हिंसा की थी। खान सर एक फेमस यूट्यबर हैं, जिनके 14 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं, उनको एक अलग अंदाज़ से पढ़ाने के लिए जाना जाता हैं। उनके यूट्यूब चैनल का नाम ‘खान जीएस रिसर्च सेंटर’ है।