रांची, चार दिसंबर (भाषा) मध्य अफ्रीका के कैमरून में फंसे झारखंड के पांच प्रवासी श्रमिक बृहस्पतिवार को घर लौट आए। उन्हें कथित तौर पर कई महीनों से वेतन नहीं मिला था।
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष (जो झारखंड के श्रम विभाग के अधीन कार्य करता है) की टीम लीडर शिखा लाकड़ा ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि श्रमिक मंगलवार को मुंबई हवाई अड्डे पर उतरे और बुधवार को मुंबई-हावड़ा मेल में सवार हुए तथा बृहस्पतिवार को अपने गृह जिलों गिरिडीह और हजारीबाग पहुंचे।
सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने राज्य सरकार के समक्ष फंसे हुए श्रमिकों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा, ‘वे मुंबई-हावड़ा मेल के माध्यम से पारसनाथ स्टेशन (गिरिडीह जिले में) पहुंचे और अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गए।’
अली ने यह मामला राज्य श्रम विभाग के समक्ष उठाया, जिसने आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कैमरून स्थित भारतीय दूतावास के साथ समन्वय स्थापित किया।
सोमवार रात को श्रमिकों के लिए भारत वापस जाने वाले विमानों का टिकट बुक कर दिया गया।
लाकड़ा ने कहा, ‘हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और श्रमिकों तथा नियोक्ता (मुंबई स्थित एक निजी कंपनी) के सभी दस्तावेज साझा किए। दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया और पांचों श्रमिकों के पांच महीने के लंबित वेतन का भुगतान कराने में कामयाब रहा।’
सभी पांच श्रमिकों को कंपनी ने कैमरून में ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के काम के लिए रखा था।
भाषा
शुभम रंजन
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