Atal Bihari Vajpayee Poem: दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं पढ़ेंगे कॉलेज स्टूडेंट्स.. सिलेबस में किया गया शामिल..
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की कविताएं दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी पाठ्यक्रम में शामिल
Atal Bihari Vajpayee Poem in Syllabus || Image- Daily Pioneer file
- अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में शामिल की गईं।
- वाजपेयी की कविताओं को लेकर कुछ शैक्षणिक हलकों में आलोचना और साहित्यिक मूल्य पर सवाल।
- पाठ्यक्रम संशोधन में समाजशास्त्र, मनोविज्ञान विभागों में बदलाव की भी मंजूरी मिली।
Atal Bihari Vajpayee Poem in Syllabus: नयी दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं अब दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर में ‘स्वतंत्रता-पश्चात भारतीय साहित्य’ विषय के अंतर्गत शामिल की गई हैं। ऐसा पाठ्यक्रम में व्यापक संशोधन के तहत किया गया है और इसे शुक्रवार को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में मंजूरी दी गई।
Read More: पाकिस्तान ने भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद रखने की अवधि 24 जून तक बढ़ाई
वर्ष 1996 से 2004 के बीच तीन कार्यकालों तक प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी को राष्ट्रवाद, संस्कृति और परंपरा के विषयों पर केंद्रित उनकी कविताओं के लिए भी याद किया जाता है। उनकी कुछ लोकप्रिय पंक्तियां जैसे ‘‘कदम मिलाकर चलना होगा’’, ‘‘गीत नया गाता हूं’’ और ‘‘आओ मिलके दीया जलाएं’’ जनता के बीच प्रसिद्ध हैं और व्यापक रूप से गूंजती रहती हैं। इस कदम की हालांकि कुछ शैक्षणिक हलकों से आलोचना हुई है।
Atal Bihari Vajpayee Poem in Syllabus: कार्यकारी परिषद (ईसी) के निर्वाचित सदस्य रुद्राशीष चक्रवर्ती ने वाजपेयी की कविताओं के साहित्यिक मूल्य पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सुदामा पांडे ‘‘धूमिल’’, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘‘निराला’’ और गजानन माधव मुक्तिबोध जैसे कवि युग के काव्य लोकाचार का बेहतर प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अत्यधिक राजनीतिक अंशों को शामिल करने का कोई मतलब नहीं है… वाजपेयी की कविताओं में अंग्रेजी में पीजी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए कोई साहित्यिक मूल्य नहीं है।’’ एक अन्य सदस्य सुनील शर्मा ने स्पष्ट किया कि ईसी के पास पाठ्यक्रम तैयार करने का अधिकार नहीं है।
Atal Bihari Vajpayee Poem in Syllabus: उन्होंने कहा, ‘‘बैठक के दौरान पाठ्यक्रम की विषय-वस्तु पर कोई चर्चा नहीं हुई। कार्यकारी समिति केवल अकादमिक परिषद द्वारा की गई सिफारिशों को पारित करती है, जो पाठ्यक्रम के मामलों पर निर्णय लेने के लिए सक्षम निकाय है।’’ बैठक में समाजशास्त्र और मनोविज्ञान जैसे विभागों में पाठ्यक्रम में बदलाव को भी मंजूरी दी गई।

Facebook



