इंसान के दोस्त या दुश्मन :केरल में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से लोगों में चिंता |

इंसान के दोस्त या दुश्मन :केरल में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से लोगों में चिंता

इंसान के दोस्त या दुश्मन :केरल में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से लोगों में चिंता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : August 28, 2022/11:38 am IST

तिरुवनंतपुरम, 28 अगस्त (भाषा) आम तौर पर कहा जाता है कि कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं लेकिन केरल में घरों में और सड़कों पर हाल में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनके चलते लोगों में कुत्तों को लेकर डर पैदा हुआ है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं और ऐसे मामले इस साल अभी तक दो लाख के करीब पहुंच चुके हैं, जो पिछले पूरे साल 2.21 लाख थे।

हालांकि कुत्तों को लेकर लोगों में भय निराधार नहीं है क्योंकि इस वर्ष अब तक रेबीज से 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से एक पलक्कड जिले का 19 वर्षीय छात्र था और टीके लगने के बावजूद उसकी मौत हो गई।

कोल्लम जिले के थेवाल्लकार में रहने वाली बुजुर्ग महिला मीनाक्षीअम्मा को पिछले माह एक कुत्ते ने काट लिया था। उस वक्त वह दूध लेने जा रही थीं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पहले पड़ोस में कुत्ते घूमते रहते थे और उन्हें कभी डर नहीं लगा, लेकिन ‘‘अब मुझे उनसे डर लगने लगा है। कुत्ते ने जब काटा, तब बहुत दर्द हुआ। मुझे टीके की चार खुराकें दी गईं और पूरी प्रक्रिया पीड़ादायक रही।’’

हालात देखते हुए राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक विशेषज्ञ समिति को इस वर्ष राज्य में कुत्ते के काटने से हुई प्रत्येक मौत की जांच वैज्ञानिक तरीके से करने और एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

वहीं, अधिकारियों ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें की हैं, जिनमें कार्ययोजना तैयार करने, केरल में और एबीसी केंद्र स्थापित करने तथा रेबीज रोधी टीके खरीदने के संबंध में कदम उठाने पर विचार-विमर्श किया गया।

सरकारी अधिकारियों और ‘सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स’(एसपीसीए) ने कहा कि इसका उपाय केवल नसबंदी या पशु जन्म नियंत्रण नहीं है, बल्कि पशुओं को टीका लगाना भी है।

पशुपालन विभाग ने कहा कि 2019 में हुई लावारिस कुत्तों की जनगणना के अनुसार, केरल में लावारिस कुत्तों की संख्या तीन लाख के करीब थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि पिछले तीन वर्ष में यह संख्या तिगुनी अथवा चौगुनी हो गई होगी।

पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ आर वेणुगोपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ लेकिन कुत्तों के काटने अथवा इंसानों को रेबीज होने के लिए केवल लावारिस कुत्तों पर ही इल्जाम थोपना ठीक नहीं, पालतू कुत्ते भी बराबर के जिम्मेदार हैं।’’

भाषा शोभना सिम्मी

सिम्मी

 

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