जयपुर, 11 मई (भाषा) राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि गहलोत को 2003 से लेकर अब तक कभी बहुमत नहीं मिला इसलिए वह उन्हें अपना सबसे बड़ा शत्रु और राह का कांटा मानते हैं।
छोटी खाटू (नागौर) में एक सभा को संबोधित करते हुए राजे ने कहा कि गहलोत द्वारा उन (राजे) की तारीफ में सद्भावना नहीं, दुर्भावना है।
राजे का यह बयान गहलोत द्वारा रविवार को दिए गए बयान के संदर्भ में आया है। गहलोत ने रविवार को धौलपुर में एक कार्यक्रम में दावा किया था कि वह 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत से बच गए क्योंकि भाजपा नेता वसुंधरा राजे व कैलाश मेघवाल ने धन बल के माध्यम से एक चुनी हुई सरकार को गिराने के षडयंत्र का समर्थन करने से इनकार कर दिया था।
इसके जवाब में राजे ने नागौर में कहा, ‘‘2003 से लेकर अब तक अशोक गहलोत को कभी बहुमत नहीं मिला। इसलिए वे मुझे अपना सबसे बड़ा शत्रु और अपनी राह का कांटा मानते हैं। इसलिए उनकी तारीफ में मेरे लिए सद्भावना नहीं, दुर्भावना है, जैसे मुंह में राम बगल में छुरी।’’
राजे के प्रवक्ता के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने सोच समझ कर मुझे नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा बोला है। वरना वे तो 20 साल से मेरे खिलाफ अमर्यादित और आपत्तिजनक भाषा बोलते आ रहें हैं, जिसे भूली नहीं हूँ मैं।’’
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘राजनीति में दो किस्म के लोग हैं। एक कर्मवीर, दूसरा बयानवीर। बयानवीर बयान देने और कर्मवीर काम करने में माहिर होते हैं। बयान वीर कांग्रेस में खूब है, भाजपा में नहीं।’’
गहलोत के साथ-साथ सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए राजे ने कहा, ‘‘एक बड़े बयान वीर धौलपुर से बोले, तो छोटे बयान वीर आज बृहस्पतिवार को अजमेर से। कोई नागौर से बोलता है। चुनाव जो आ गये हैं। ऐसे में सब का टारगेट मैं। मक़सद मुझे कैसे हानि पहुंचे बस।’’
उल्लेखनीय है कि पायलट ने पेपर लीक प्रकरण व वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर बृहस्पतिवार को अजमेर से जनसंघर्ष पदयात्रा शुरू की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति में नारी की पूजा होती है, पर यहाँ तो जिधर देखो उधर ही महिला पर कीचड़ उछालने की प्रतिस्पर्धा चल रही हैं। एक महिला से इतना डर?’’
राजे ने कहा कि अमर्यादित भाषा बोलना महिला के संस्कारों में नहीं है, पर ऐसे लोग कान खोल कर सुन लें… ‘‘ना हम डरें, ना कभी डरेंगे। ना हम पीछे हटे, ना कभी हटेंगे। महिला शक्ति ठान लें तो तूफ़ान भी रास्ता बदल लेते हैं।’’
भाषा कुंज पृथ्वी अर्पणा
अर्पणा
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