गहलोत विधानसभा तो नहीं आते, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं: मुख्यमंत्री शर्मा

गहलोत विधानसभा तो नहीं आते, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं: मुख्यमंत्री शर्मा

  •  
  • Publish Date - March 26, 2025 / 06:41 PM IST,
    Updated On - March 26, 2025 / 06:41 PM IST

जयपुर, 26 मार्च (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि वे विधानसभा तो आते नहीं, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं।

गहलोत ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शर्मा यह बताएं कि राज्य में बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद कब शुरू होगी?

मुख्यमंत्री बीकानेर में किसान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हमारे पूर्व मुख्यमंत्री (गहलोत) विधानसभा में एक भी दिन नहीं आए, लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि वह आये दिन ‘एक्स’ पर सक्रिय रहते हैं और सुर्खियों में रहना चाहते हैं।’’

शर्मा ने कहा,‘‘ यहां ‘एक्स’ से काम नहीं चलता है। आपको राजस्थान की जनता के बीच में जाना होता है, उनके दुख और दर्द को समझना होगा। लोगों के दुख-दर्द को पूरी तरह दूर करने का काम सरकार का होता है।’

उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कांग्रेस के एक युवा नेता किसानों के बीच आए थे और उन्होंने भरोसा दिलाया था कि किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

शर्मा ने कहा,‘‘नेता ने आलू से सोना बनाने की बात कही थी। हम आलू से सोना नहीं बना सकते, हमारे पास यह मशीन नहीं है, लेकिन अगर राजस्थान के किसानों को सही तरीके से पानी मिले तो किसान जमीन से सोना जरूर निकाल सकते हैं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने शर्मा की टिप्पणी के बाद उन्हें याद दिलाया कि वे तत्कालीन कांग्रेस सरकार से एमएसपी पर बाजरे की खरीद की मांग कर रहे थे।

गहलोत ने शर्मा की पुरानी पोस्ट को साझा करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘मुख्यमंत्री जी, मैं आपको लगभग ढाई साल पुराना आपका यह पोस्ट (ट्वीट) याद दिलाना चाहता हूं जिसमें आप कांग्रेस सरकार से बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार को अब डेढ़ साल होने जा रहा है। आपके घोषणापत्र में भी बाजरे की एमएसपी पर खरीद का वादा किया गया था। आज आप बता ही दीजिए कि एमएसपी पर बाजरे की खरीद कब से शुरू करने वाले हैं?

भाषा कुंज पृथ्वी पारुल संतोष

संतोष