नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा 2018-19 से 2022-23 की अवधि के लिए सरकार की पूर्व-सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) में हितधारकों का ‘परफॉर्मेंस ऑडिट’ किया गया, जिसमें पाया गया कि पैनल में शामिल स्वास्थ्य देखभाल संगठनों का ‘भौगोलिक कवरेज अपर्याप्त’ था, जिसके परिणामस्वरूप लाभार्थियों को इलाज के लिए रेफर किए जाने पर लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी।
बृहस्पतिवार को एक आधिकारिक बयान में यह बात कही गई।
कैग ने कहा कि हितधारकों के ऑडिट में पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग, एडजुटेंट जनरल शाखा, केंद्रीय संगठन, ईसीएचएस, क्षेत्रीय केंद्र, पॉलीक्लीनिक, सेवा अस्पताल, स्टेशन मुख्यालय और रक्षा लेखा के प्रधान नियंत्रक शामिल थे।
ईसीएचएस का उद्देश्य ओपीडी रोगियों के लिए पॉलीक्लीनिक के नेटवर्क के माध्यम से सभी पूर्व-सैनिकों और उनके आश्रितों को व्यापक, कैशलेस और बिना किसी सीमा के स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। इनमें विशेष उपचार और अंत:रोगी उपचार के लिए रेफर किए गए मामलों के वास्ते देश भर में फैले सेवा अस्पताल, सरकारी अस्पताल और पैनल में शामिल निजी स्वास्थ्य देखभाल संगठन (एचसीओ) शामिल हैं।
यह योजना रक्षा मंत्रालय के दायरे में आती है।
एक वक्तव्य के अनुसार, बृहस्पतिवार को लोकसभा और राज्यसभा में रिपोर्ट पेश की गई।
इसमें कहा गया कि कैग के समक्ष पैनल में शामिल एचसीओ के असमान वितरण के मामले भी सामने आए।
भाषा वैभव मनीषा
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