समय पूर्व जमानत देने से पीएमएलए का उद्देश्य प्रभावित होता है : दिल्ली उच्च न्यायालय

समय पूर्व जमानत देने से पीएमएलए का उद्देश्य प्रभावित होता है : दिल्ली उच्च न्यायालय

समय पूर्व जमानत देने से पीएमएलए का उद्देश्य प्रभावित होता है : दिल्ली उच्च न्यायालय
Modified Date: July 4, 2025 / 07:19 pm IST
Published Date: July 4, 2025 7:19 pm IST

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज एक मामले में हांगकांग स्थित भारतीय व्यवसायी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि समय से पहले राहत देने से जांच में बाधा उत्पन्न होगी और धन शोधन निवारण कानून का उद्देश्य प्रभावित होता है।

न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में अमृत पाल सिंह को राहत देने से इनकार कर दिया। सिंह ब्रोवे ग्रुप लिमिटेड के निदेशक थे, जो भारतीय मुखौटा कंपनियों से 28,80,210 अमेरिकी डॉलर (लगभग 20.75 करोड़ रुपये) की राशि को ‘धोखाधड़ी’ करके विदेश भेजने का कथित लाभार्थी है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि ये लेन-देन बिना किसी वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि के आयातित वस्तुओं की आड़ में किए गए थे।

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आदेश में कहा गया है, ‘‘कथित धन शोधन अभियान में मदद करने या उससे लाभ उठाने में आवेदक की भूमिका का पता लगाने के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो सकती है। समय से पहले जमानत दिए जाने से जांच में बाधा आएगी और पीएमएलए के वैधानिक उद्देश्यों से समझौता होगा।’’

अदालत ने एक जुलाई को कहा कि सिंह का आचरण, जिसमें बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद निरंतर असहयोग करना शामिल है, गिरफ्तारी पूर्व संरक्षण दिए जाने के खिलाफ जाता है।

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप


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