अहमदाबाद, 31 दिसंबर (भाषा) अहमदाबाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने 16 साल पुराने एक मुकदमे में तीन व्यक्तियों को दोषी करार देते हुए उन्हें तीन-तीन साल कारावास की सजा सुनाई।
यह मामला 21 साल से भी अधिक समय पहले जाली दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करके 4.78 लाख रुपये का आवास ऋण प्राप्त करने से संबंधित है।
अदालत ने 15 दिसंबर 2009 को दर्ज मामले में बालमुकुंद मिठाईलाल दुबे, धर्मेश धैर्य और अल्पेश अश्विनभाई ठक्कर पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
मामले के मुख्य आरोपी जयेश प्रजापति की अबतक गिरफ्तारी नहीं हो सकी और वह फरार है।
सीबीआई द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, एजेंसी ने आवास ऋण धोखाधड़ी मामले में फरार जयेश प्रजापति और विजया बैंक के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इसमें कहा गया, ‘‘आरोपी (प्रजापति) ने मार्च 2004 में विजया बैंक के अज्ञात अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने वेतन और रोजगार से संबंधित झूठे और जाली विवरणों के आधार पर आवास ऋण प्राप्त करने की साजिश रची। उसने जलविहार सोसाइटी में एक फ्लैट से संबंधित झूठे और जाली दस्तावेज जमा किए और 4,78,000 रुपये का आवास ऋण प्राप्त किया।’’
सीबीआई के मुताबिक जांच में यह साबित हुआ कि प्रजापति, ठक्कर, दुबे और धारिया ने बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए फर्जी और जाली दस्तावेज बनाए थे तथा विजया बैंक को धोखा देने के लिए धनराशि निकालने के उद्देश्य से एक फर्जी खाता खोला था।
केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि बैंक को किस्तों के भुगतान न होने की वजह से ब्याज सहित कुल 7,85,109 रुपये का नुकसान हुआ है।
सीबीआई के मुताबिक अभियुक्तों के खिलाफ 31 दिसंबर, 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
भाषा धीरज गोला
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