उच्च न्यायालय ने गोलाघाट के जंगलों से बेदखली का सामना कर रहे लोगों से भूमि अधिकार प्रमाण मांगा

उच्च न्यायालय ने गोलाघाट के जंगलों से बेदखली का सामना कर रहे लोगों से भूमि अधिकार प्रमाण मांगा

उच्च न्यायालय ने गोलाघाट के जंगलों से बेदखली का सामना कर रहे लोगों से भूमि अधिकार प्रमाण मांगा
Modified Date: August 7, 2025 / 03:41 pm IST
Published Date: August 7, 2025 3:41 pm IST

गुवाहाटी, सात अगस्त (भाषा) गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम के गोलाघाट जिले में दोयांग और साउथ नांबर के जंगलों से बेदखली का सामना कर रहे लोगों को 10 दिन के भीतर भूमि अधिकार प्रमाण पेश करने या जमीन खाली करने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने 74 लोगों की याचिका पर सुनवाई की, जिनका दावा है कि उनके पूर्वजों के समय से ही संबंधित भूमि पर उनका कब्जा है।

न्यायमूर्ति कुमार ने राज्य के महाधिवक्ता को वन अधिकारी की ओर से हलफनामा पेश करने का भी निर्देश दिया, जिसमें यह कहा जाए कि अपीलकर्ता बिना किसी अधिकार के आरक्षित वन क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्हें तत्काल बेदखल किया जाना चाहिए।

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याचिकाकर्ताओं ने जिला प्राधिकरण की ओर से जारी नोटिस को चुनौती दी है, जिसमें उनसे सात दिन के भीतर जमीन खाली करने के लिए कहा गया था।

इस संबंध में 59 लोगों के एक समूह और लगभग 15 लोगों के एक अन्य समूह ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। दोनों अपील पर एक साथ सुनवाई की गई, क्योंकि इनमें शामिल मुद्दे समान हैं।

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनके पूर्वजों के समय से ही उक्त भूमि पर उनका कब्जा है और बिना किसी विशिष्ट सीमांकन के उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं।

अदालत ने पाया कि इन दावों के समर्थन में कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किया गया।

उसने वन क्षेत्र से हटने या अपने भूमि अधिकारों के दस्तावेजी साक्ष्य पेश करने के वास्ते संबंधित लोगों को दिया गया समय 10 दिन के लिए बढ़ा दिया, जिसकी गणना आदेश की तारीख यानी पांच अगस्त से की जाएगी।

अदालत ने कहा कि तब तक अपीलकर्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।

भाषा नेत्रपाल पारुल

पारुल


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