High court heard the petition, said - FIR registered under POCSO Act

हाईकोर्ट ने की याचिका पर सुनवाई, कहा – पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज FIR को समझौते के आधार पर नहीं किया जा सकता रद्द

High court heard the petition of POCSO Act : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : May 24, 2022/8:27 pm IST

चंडीगढ़। High court heard the petition of POCSO Act : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 11 मई को कहा कि यौन अपराध के शिकार एक बच्चे के माता-पिता आरोपी के साथ “समझौता” नहीं कर सकते।

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दर्ज एफआईआर को समझौते के आधार पर नहीं किया जा सकता रद्द

दरअसल, हरियाणा के सिरसा के महिला पुलिस थाना, डबवाली में 2019 में भादंवि की धारा 452, 506 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज एफआईआर को समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है।

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अदालत ने कहा, “बच्चे, या उसके माता-पिता द्वारा ऐसा कोई कदम, जो बच्चे की गरिमा से समझौता करे, उस स्थिति तक नहीं उठाया जा सकता है। जहां यह अधिनियम के मूल उद्देश्य को निष्प्रभावी करता है।” अदालत ने कहा, “दंड प्रक्रिया की धारा 482 के तहत दिए गए अधिकार का प्रयोग संवैधानिक जनादेश के निर्वहन में अधिनियमित कानून के उद्देश्य के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संधियों से उत्पन्न दायित्व को नाकाम करने के लिए नहीं किया जा सकता है।”

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निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने निर्देश

अदालत ने संबंधित निचली अदालत को मुकदमे की सुनवाई में तेजी लाने और छह महीने की अवधि के भीतर इसे समाप्त करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा, “बच्चे के बालिग होने तक स्वयं निष्पादित कोई भी अनुबंध/समझौता वर्तमान मामले में अमान्य होगा और इस प्रकार इसे वैधता प्रदान नहीं की जा सकती है।” न्यायमूर्ति जैन ने कहा, “माता-पिता को एक अनुबंध के माध्यम से बच्चे की गरिमा से समझौते की इजाजत नहीं दी जा सकती।”